ख़बरों की रिपोर्टिंग और विश्लेषणहाल ही में अफ़ग़ानिस्तान के राष्ट्रपति अशरफ़ ग़नी ने ईरान पर जो टिप्पणियाँ की हैं, वो क्षेत्र में पानी को लेकर पैदा हो रहे संकट के संकेत हैं.
साल 2018 में ईरान के विदेश मंत्री ज़वाद जरीफ़ ने कहा था कि ईरान अफ़ग़ानिस्तान के साथ विवाद को समाप्त करने की कोशिस करेगा और इसमें 'अफ़ग़ान शरणार्थियों, अवैध अफ़ग़ान नागरिकों, नशे के कारोबार और तस्करी' को भी अफ़ग़ानिस्तान के साथ बातचीत में शामिल करेगा. अफ़ग़ानिस्तान सरकार ने जरीफ़ की इस टिप्पणी की आलोचना की थी.हारी रूद नदी के पानी पर दावों को लेकर 50 साल से चले आ रहे विवाद को समाप्त करते हुए इस साल फ़रवरी में ईरान और अफ़ग़ानिस्तान ने समझौता कर लिया है.
अबुल फ़ज़ल हसन बीकी ने समाचार एजेंसी आईसीएनए से कहा था, "अफ़ग़ानिस्तान हेलमंद नदी को लेकर हुए जल समझौते के लिए तो प्रतिबद्ध है लेकिन हारी रूद नदी पर उसका रुख़ ऐसा नहीं है."अफ़ग़ानिस्तान के बांध बनाने और इससे ईरान के लिए जल आपूर्ति प्रभावित होने को लेकर हाल के दिनों में ईरान के मीडिया में ख़ूब बहस हो रही है.
फ़ार्स ने कहा कि 1973 के समझौते का उल्लंघन करने और ईरान के हिस्से का पानी कम करने से हामुन जलक्षेत्र पर ख़तरा मँडराने लगा है. समाचार एजेंसी ने कहा है कि कमाल ख़ान बांध ने ईरान की जलवायु चिंता को बढ़ा दिया है.अफ़ग़ानिस्तान में आपदा प्रबंधन के पूर्व मंत्री और यूनिवर्सिटी में लेक्चरर नाजिब आक़ा फ़हीम ने बीबीसी से कहा है कि अफ़ग़ानिस्तान ईरान के जल अधिकारों के लिए प्रतिबद्ध है. उन्होंने कहा कि कमाल ख़ान बांध को लेकर जाहिर की जा रही चिंताएं आधारहीन हैं.
जब फ़ार्स न्यूज़ ने ऊर्जा मंत्री रेज़ा अर्दाकानियान से पूछा कि क्या ईरान अफ़ग़ानिस्तान से अपने हिस्से के पानी को सुरक्षित करने की उम्मीदें छोड़ चुका है, तो उनका कहना था कि ऐसा नहीं है.
अबे! अफ़गानिस्तान और ईरान के बीच पानी को लेकर हमें क्या करना चल निकल! पहले दफा में निकल!
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