देश में संपत्ति बंटवारे पर मचे राजनीतिक घमासान के बीच सुप्रीम कोर्ट ने अहम टिप्पणी की है. एक मामले की सुनवाई के दौरान सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि ये कहना खतरनाक होगा कि किसी शख्स की निजी संपत्ति पर किसी संगठन या सरकार का हक नहीं माना जा सकता. साथ ही ये कहना भी खतरनाक होगा कि लोक कल्याण के लिए सरकार इसे अपने कब्जे में नहीं ले सकती. कोर्ट ने कहा कि संविधान का मकसद सामाजिक बदलाव की भावना लाना है. चीफ जस्टिस डीवाई चंद्रचूड़ की अगुवाई वाली नौ जजों की बेंच ने ये टिप्पणी की.
इस कानून में प्रावधान है कि सरकार पहले से अधिगृहित किसी इमारत या जमीन का अधिग्रहण कर सकती है. इस कानून के खिलाफ सबसे पहले 1992 में याचिका दायर की गई थी. तब से ही ये मामला सुप्रीम कोर्ट में है.इस कानून का जिक्र करते हुए सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि जर्जर इमारतों को अपने कब्जे में लेने का अधिकार देने वाला महाराष्ट्र का कानून वैध है या नहीं, ये पूरी तरह से अलग मुद्दा है और इसका फैसला अलग से किया जाएगा.
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