प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने अयोध्या में राम मंदिर निर्माण और उसके देख-रेख के लिए श्री रामजन्मभूमि तीर्थ क्षेत्र ट्रस्ट का संसद में ऐलान कर दिया है. इस ट्रस्ट में कुल 15 सदस्यों को शामिल किया जाना है. अयोध्या राजवंश के वारिस विमलेंद्र मोहन प्रताप मिश्र को इसका ट्रस्टी बनाया गया है. विमलेंद्र को प्यार से लोग पप्पू भइया भी कहते हैं.
. किसी जमाने में इस राजवंश के सदस्य अयोध्या नगर की व्यवस्था चलाते थे, लेकिन समय बीतने के साथ ही यह परंपरा समाप्त हो गई. लेकिन राम मंदिर निर्माण की जिम्मेदारी एक बार फिर उनके कंधों पर आ गई है. कहा जाता है कि बाबरी विध्वंस के बाद रामलला की मूर्ति विमलेंद्र ने अपने घर से ही भिजवाई थी.अयोध्या राजवंश के राजा दर्शन सिंह की वंशावली से जुड़ी कड़ी में स्वर्गीय महारानी विमला देवी के दो पुत्र हैं विमलेंद्र मोहन प्रताप मिश्र और शैलेन्द्र मोहन प्रताप मिश्र.
विमलेंद्र मिश्र ने 2009 के लोकसभा चुनाव में फैजाबाद संसदीय सीट से बसपा के टिकट पर चुनाव लड़ा था, लेकिन जीत नहीं सके थे. उन्हें कांग्रेस के निर्मल खत्री ने हराया था, जिसके बाद से उन्होंने सियासत से दूरी बना ली. हालांकि एक दौर में अयोध्या का ये राजवंश परिवार कांग्रेस पार्टी का करीबी माना जाता था.विमलेंद्र मिश्र अयोध्या राजवंश में कई पीढ़ियों के बाद जन्म लेने वाले पुरुष उत्तराधिकारी थे. इससे पहले तक राजवंश में दूसरों को गोद लिया जाता रहा है और राजवंश की विरासत सौंपी जाती रही है.
विमलेंद्र मिश्रा के छोटे भाई शैलेंद्र मोहन मिश्र अयोध्या के साकेत महाविद्यालय की प्रबंध समिति के अध्यक्ष हैं. विमलेंद्र मोहन प्रताप मिश्र के बेटे यतीन्द्र मोहन प्रताप सहित्यकार हैं और विविध भारती में अपनी सेवा दे चुके हैं. विमलेंद्र अपनी मां विमला देवी के नाम से एक समाजसेवी संस्था भी चलाते हैं. वो 'विमला देवी फाउंडेशन न्यास’ के कार्यकारी अध्यक्ष हैं, जो राष्ट्रीय स्तर पर साहित्य, संगीत एवं कला के उत्थान के लिए कार्य करता है और अयोध्या से समावेशी संस्कृति के निर्माण की दिशा में कार्यरत है.
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॥ जय श्री राम ॥
रोजगार स्टार्टअप तो महाराष्ट्र गुजरात बंगलोर हैदराबाद में है ही हम कउन चिंता करे भाई !!!
शुभकामनाएँ, जय_श्रीराम
jai shree ram
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