इनमें से कुछ वैक्सीन कैंडीडेट्स ट्रायल फेस में पहुंच गए हैं, और चंद ने ऊंची कामयाबी दर का दावा किया है.
किताब का एक अंश कहता है, “14 मई 1796 को, मेडिसिन के ऐतिहासिक दिन, जेनर ने एक आठ साल के स्कूली बच्चे, जेम्स फिप्स, को इंजेक्शन दिया, जिसमें एक ग्वालिन के काउपॉक्स फफोले से निकले मवाद को इंजेक्ट किया गया. डॉ जेनर ने बाद में कई बार बच्चे को चेचक की स्क्रैपिंग्स से चेक करने की कोशिश की लेकिन उसे फिर वो बीमारी नहीं हुई. जेनर का प्रयोग एक शानदार कामयाबी थी!"
किताब के एक और अंश के मुताबिक “कोविड-19 के लिए चार प्रकार की वैक्सीन्स विकास के चरण में हैं. निष्क्रिय या क्षीण कोरोना वायरस वैक्सीन्स वायरस के एक रूप का इस्तेमाल करती हैं जो गंभीर संक्रमण का कारण नहीं हो सकता है लेकिन इसके एंटीजन्स इम्युन सिस्टम को स्टीमुलेट कर सकते हैं. प्रोटीन आधारित या सबयूनिट वैक्सीन्स में प्रोटीन आधारित एंटीजन होते हैं जो कोरोना वायरस पर हमला करने के लिए इम्युन सिस्टम को प्रशिक्षित करते हैं.
जेनेटिक टीके में डीएनए या आरएनए होते हैं जिसमें कोरोना वायरस एंटीजन बनाने के लिए जेनेटिक कोड होता है. इस कोड की बड़े पैमाने पर मैन्युफैक्चरिंग में प्रोटीन की मास मैन्युफैक्चरिंग की तुलना में कम समय लगता है, और ये टीके मानव कोशिकाओं के अंदर सेलुलर कारखानों में बड़े पैमाने पर प्रोटीन निर्माण को आउटसोर्स करते हैं. मॉडर्ना और फाइजर/ बायोएनटेक वैक्सीन mRNA आधारित हैं, जबकि Zydus वैक्सीन डीएनए आधारित है.
सौभाग्य से, भारत बायोटेक, नोवोवैक्स, ऑक्सफोर्ड एस्ट्राएनेका और जॉनसन एंड जॉनसन के टीके 2 से 8 डिग्री सेल्सियस पर ले जाए और संग्रहीत किए जा सकते हैं. जेनेटिक टीकों को भंडारण के लिए आमतौर पर बहुत ज्यादा ठंडे तापमान की आवश्यकता होती है. फाइजर वैक्सीन को -70 ° सेल्सियस जितने कम तापमान की आवश्यकता है, लेकिन मॉडर्ना ने अपने टीके को संशोधित किया है कि इसे 2 से 8 डिग्री सेल्सियस पर 30 दिनों तक संग्रहीत किया जा सकता है.
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