लोग ऑक्सीजन और इलाज के अभाव में दम तोड़ रहे थे; गंगा में लाशें तैर रही थीं, श्मशान और कब्रिस्तान में शवों के लिए लेने पड़ रहे थे टोकनदेश में कोरोना महामारी से हुई मौतों का आंकड़ा शुक्रवार को 4 लाख के पार पहुंच गया। महामारी की सेकेंड वेव में इन मौतों की दास्तां इतिहास के पन्नों में दर्ज हो गईं। इस साल मई और जून में हालात ऐसे थे कि मरीजों को अस्पतालों में बेड नहीं मिल रहे थे।
स्वास्थ्य सुविधाओं के मामले में पूरी तरह से सक्षम महाराष्ट्र और दिल्ली जैसे राज्यों में मरीज ऑक्सीजन, इलाज और दवाइयों की कमी से दम तोड़ रहे थे। डॉक्टर असहाय थे, क्योंकि उनके हाथ में हुनर था, ऑक्सीजन नहीं। देश के बाकी अस्पतालों में भी ऑक्सीजन की कमी से कुछ यही हालात बने हुए थे।महामारी के दौरान मौतों को कम बताने की आंकड़ेबाजी खूब हुई। देश का कोई ऐसा राज्य नहीं था, जो दूध का धुला हो। हर कोई रोज होने वाली मौतों को कम बताता ताकि उनकी व्यवस्था की पोल न खुले। लेकिन महामारी ने हर छोटे और बड़े राज्य में...
वाराणसी के गंगा घाट पर लगातार शवों को जलाया जा रहा था। यहां लोगों को अपनी बारी के लिए घंटों इंतजार करना पड़ रहा था।वाराणसी में इलाज के अभाव में बेटे ने मां की गोद में दम तोड़ दिया। युवक अपनी मां के साथ इलाज कराने बीएचयू गया था। डॉक्टरों ने इलाज करने से मना कर दिया। बेटा घंटों मां के साथ इलाज का इंतजार करता रहा, लेकिन डॉक्टर नहीं मिले। आखिरकार ऑटो में बैठे-बैठे बेटा मां के पैरों में गिर गया और उसकी मौत हो गई।ऑक्सीजन नहीं मिला तो पति को मुंह से दी सांस, लेकिन टूट गई...
फिर भी कई राज्यों की सरकारे अभी तीसरी लहर आने का इन्तजार कर रही हैं। वैक्सीन तथा मेडिकल की हुई कमी पर कोई ध्यान नहीं है, न ही दे रहे हैं। 🙏🙏 जब सरकार ही गलती करे तब इसको कोई दंडित क्यों नहीं किया जाता।
कितने पैसे मिले हैं दैनिक भास्कर न्यूज को
यह महामारी थी पर कई विरोधी पार्टियों ने बिना सोचे समझे जरुरत से ज्यादा ऑक्सीजन की डिमांड की। इससे स्थिति गम्भीर हो गईं। एंटी govt media ने भी स्थिति का सही आकलन नहीं किया बल्कि लोगो को गुमराह किया। वैक्सीनेशन के खिलाफ मुहिम चलाई। इससे ही मोते हुई।
Responsible Bjp
मोदी सरकार व्यस्त थी बंगाल चुनाव प्रचार में अब दुनिया भर की नोटंकी हो रही हैं
क्यों कंठस्थ कराना है क्या 😂😂
बहुत ही दुःखदायी समय था ।हमने अपने जीवनकाल में ऐसा कभी नही सुना, आपदा तो कई आयी पर ऐसी मृत्यु कभी नहीं देखी....?लोग अपनी ही सासों के लिए तड़प तड़प कर मर गये। लेकिन मुझे विश्वास है पोलियो की तरह ये भी एक दिन अपने देश से चल जाएगा।
टूल कीट का अंग बन गए है न !
फेक समाचार फैलाकर देश की बदनामी मत करो..
चालीस लाख से भी ज्यादा लोगों की मौतें हुई हैं
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