कोरोना के इलाज की खर्च सीमा तय करने के बाद भी 80 फीसदी परिवारों के लिए यह पहुंच से बाहर

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कोरोना के इलाज की खर्च सीमा तय करने के बाद भी 80 फीसदी परिवारों के लिए यह पहुंच से बाहर coronavirus CoronaUpdatesInIndia

कोरोना वायरस से संक्रमित किसी व्यक्ति के लिए अस्पताल में इलाज कराना आसान काम नहीं है। कोविड-19 के इलाज का खर्चा बहुत ज्यादा आता है, जिसकी वजह से लोगों में सरकार के प्रति गुस्सा भी है। इस गुस्से को देखते हुए ज्यादातर राज्यों ने कोरोना के इलाज के खर्च पर एक सीमा तय कर दी है।

ये खर्च 80 फीसदी लोगों की ओर से किए जा रहे मासिक खर्च का तीन गुना है। वहीं अगर किसी कोरोना मरीज की हालात गंभीर होती है और उन्हें आईसीयू में वेंटिलेटर की जरूरत पड़ती है तो दो-तीन हफ्ते के लिए इलाज का खर्च लाखों रुपये में चला जाता है। हालांकि ये खर्च निजी अस्पतालों का है क्योंकि सारे राज्यों में सरकारी अस्पताल में कोरोना का इलाज कराना मुफ्त है। कर्नाटक, ओडिशा और तेलंगाना जैसे राज्यों में राज्य सरकार की ओर से निजी अस्पताल में भी कोरोना के खर्च की एक सीमा तय कर दी है।

ये खर्च 80 फीसदी लोगों की ओर से किए जा रहे मासिक खर्च का तीन गुना है। वहीं अगर किसी कोरोना मरीज की हालात गंभीर होती है और उन्हें आईसीयू में वेंटिलेटर की जरूरत पड़ती है तो दो-तीन हफ्ते के लिए इलाज का खर्च लाखों रुपये में चला जाता है।

 

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कोरोना को पहुंच के बाहर रखो।

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