कोरोना: सरकारों के काम पर अदालतों के सख़्त रवैये से क्या कुछ बदलेगा? - BBC News हिंदी

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कोरोना: सरकार के कामकाज पर अदालतों के सख़्त रवैये से क्या कुछ बदलेगा?

ये टिप्पणियाँ कड़ी तो थी हीं, कुछ हद तक असरदार भी. मद्रास उच्च न्यायलय की टिप्पणी का असर यह हुआ कि चुनाव आयोग ने आदेश जारी कर के 2 मई को होने वाली मतगणना के बाद विजय जुलुसों पर रोक लगा दी. साथ ही, मतगणना केंद्रों में प्रवेश पाने के लिए कोरोना नेगेटिव होने की टेस्ट रिपोर्ट दिखाना अनिवार्य कर दिया.

दिल्ली हाई कोर्ट के पूर्व चीफ़ जस्टिस कहते हैं, "न्यायिक संयम की कुछ सीमाएँ हैं. हमेशा न्यायिक संयम और न्यायिक कूटनीति का प्रयोग नहीं हो सकता. बेशक, सुप्रीम कोर्ट का यह कहना सही है कि निचली अदालतें अनुचित या कठोर शब्दों का उपयोग नहीं कर सकतीं. लेकिन एक लंबे समय के बाद न्यायपालिका महान भारतीय न्यायपालिका की तरह काम कर रही है."

अमिताभ सिन्हा के अनुसार, न्यायपालिका का काम है क़ानून की व्याख्या करना और इस बात की चिंता करना कि क़ानून के अनुपालन करने की व्यवस्थाओं में कहीं कोई कमी तो नहीं है. वे कहते हैं, "यह ओहदे का सरासर दुरूपयोग है. जो समाज में अदालतों का स्थान है, ऐसे फ़ैसले उस ओहदे का उल्लंघन हैं. जनता में न्यायपालिका की जो इज़्ज़त है, उनपर इसका ग़लत असर होता है और इससे भारतीय लोकतंत्र का दीर्घकालीन नुकसान होगा."

 

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Kuch nhi badlaa

और आप लोग कैसी बात कर रहें सरकार बनाना हमारा काम न की हाई कोर्ट , सुप्रीम कोर्ट का। कोर्ट सरकार थोड़ी ही हटा सकती हम जनता ही हटा सकते है किसने किया किया 2024 में बताएंगे । इन बीबीसी के कहने मत आओ भूल गए 250 गुलामी के इन्होंने 1918 से 1921 तक प्लेग से 7 करोड़ मरने दिया ।

साहेब बदल दीजिये

Kuchh Nahin badlega 🙏🙏🙏🙏

Bilkul badalega kintu aur kathor hona parega. Public ab HON' SC se hi asha kar rahi haie.

यूपी सरकार जितना दिमाग़, पैसा और ऊर्जा खर्च प्रचार में बनाने और करने में करते हो। अगर इतनी ऊर्जा और पैसा हेल्थ व्यवस्था को ठीक करने में लगाते तो कोविड से बहुत से लोगों की जान बच जाती। COVID OxygenCrisis

🔔 बदलेगा..🤓🤓🤓

😕🙄😄🙏

No, It is just a game to fool people. SC and Govt are same.

SC vs CG: Supreme court of India, is just like a mosquito 🦟 for Central Government. Nothing will happen. This is small sting on fat ass.

बदलना कुछ नही है जैसे है वैसे ही चलेगा। हां, सुर्खियों में समाचार आते रहेगा। संसाधन जुटाने में तेज़ी आएगी और एक दूसरे पर दोषारोपण कर अपना पल्ला झाड़ेंगे इसके अलावा कुछ आना जाना नही है।

Kuch nhi hoga . HighCourts Sarkar ko fatkaar lgate hai , Sarkar SC me jate hai , faisla Sarkar ke paksh me . Corona ke kehar ke liye Modi ji Amit Shah Health Minister etc jimmedar , kya SC ne Modi ji se swal kiya ? Constitutional Institutions aaj Modi ji Amit Shah ke liye .

क्या आप भूल गये हैं - 'Justice delay is justice denied. '- कुछ नहीं बदलेगा ।

Adalat aab adalat nhi rahi samjhe

कुछ नहीं बदलेगा।

जो भी हो रहा है वह सरकार के द्वारा संसाधन की उपलब्धता और परिस्थिति के अनुसार हो रहा है न्यायपालिका के कुछ जजों की टिप्पणी से क्या ऑक्सीजन बढ़ गया?न्यापालिका को सिर्फ मिडिया या जनता में पब्लिसिटी और सनसनी पैदा हुयी न्यापालिका का में सहयोग और संतुलन सर्वथा अभाव रहा

Kuch b nhi badalne wala

Kuch nhi change hoga..

Sbse bakwas hai bbc

Bhai log bach k rhna . Human organ ki taskari ho rhi h. Iss covid19 ke chakkar me .

कुछ नही!दिखावे की लीपापोती!!

गली गली में मेरा बूथ मजबूत करने वाली पार्टी लोगों के लिए कुछ भी काम की नहीं है।

कुछ नही पब्लिक को घुटकर जीने की आदत है।

कुछ भी नहीं

Sirf ek ke kam karne se kaya hoga ,, baaki too saare sirf bayan dene main lage hain

Kuch bhi nahi

अदालतों की सख़्त टिप्पणियों से और कुछ बदले न बदले पर जनता के मन में सरकार की छवि जरूर बदलेगी और वही महत्वपूर्ण है

जब तक केन्द्र में आत्ममुग्ध सरकार है तब तक कोई असर नहीं होने वाला,मानवता,संवेदना,करुणा,नैतिकता,परिपक्वता,जिम्मेदारी सब कुछ शून्य हो चुका है ,स्वयं को भगवान स्थापित करने की लालसा में

Kuch Nahi hogà,. Bolne Easy hai or Karna mushkil

Nopes

न्यायालय के हस्तक्षेप का असर तो हुआ है

🔔बदलेगा गावर को पीएम बनाओगे तो ऐसा ही होगा

Nahi

किसी के करने और कहने से कुछ नहीं बदलने वाला, जब तक कि मालिक मेहरबान है।

Nahi

भारत में अदालत सरकार से डरतीं है ना की सरकार अदालत से ।

विश्वगुरु बनने चला था। एक अंतरराष्ट्रीय भिखारी बना के छोर दिया ! 🤔

I don’t think so

Dikhawa hai sirph, taki janta ko lage ki court unke haq or sath me hai or janta khus ho k budbak bante rahe.

बेशर्म लोगों को क्या कहना?

बड़ा गहरा 'ताल्लुक़ है सियासत से तबाही' का 'जिस्म जले या मज़हब', 'घर जले या शहर' हमेशा 'कुर्सियां' मुस्कुराती है ।।

हमने इस समाचार को संक्षेप में प्रस्तुत किया है ताकि आप इसे तुरंत पढ़ सकें। यदि आप समाचार में रुचि रखते हैं, तो आप पूरा पाठ यहां पढ़ सकते हैं। और पढो:

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