कोरोना लॉकडाउन: पत्नी नौ महीने की गर्भवती और दिल्ली से बिहार का सफ़र

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संदीप यादव नोयडा में मसाला बेचते थे. अचानक लॉकडाउन के बाद उन्हें बोरिया बिस्तर लेकर नौ महीने की गर्भवती पत्नी के साथ बिहार जाना पड़ा.

संदीप यादव और उनकी पत्नी रेखा अस्पताल मेंगोपालगंज सदर अस्पताल के आइसोलेशन वॉर्ड में रह रहे संदीप की परेशानी उनकी आवाज़ में घुली हुई है. वो और उनकी पत्नी रेखा देवी ख़ुद गोपालगंज ज़िले में हैं लेकिन उनकी 8 और 6 साल की दो बच्चियां सुपौल के बलहा क्वारंटीन सेंटर में अकेली हैं.संदीप नोएडा के सेक्टर 122 में सड़क पर ही बीते 6 साल से मसाले की छोटी सी दुकान लगाते हैं. वो बताते हैं कि 21 मार्च को प्रशासन ने दुकानें बंद करा दीं. जिसके बाद उन्होंने डेढ़ महीना लॉकडाउन ख़त्म होने का इंतजार किया.

उन्होंने बीबीसी को फ़ोन पर बताया,"मकान मालिक ने सरकार के कहने पर एक महीने का किराया माफ़ कर दिया था लेकिन इस तरह बिना काम किए कैसे खाते पीते? मैंने गाँव में पिताजी से पैसा मंगाया और हमारे ज़िले के ही 30 लोगों ने मिल कर एक ट्रक फिक्स किया जिसने हम पति-पत्नी का 5000 रुपए किराया लिया. बच्चों का किराया ट्रक वाले ने नहीं लिया. ट्रक को रास्ते में दो-तीन जगह पुलिसवालों ने रोका जिसमें से एक जगह कुछ लोगों ने खाने-पीने का सामान दिया.

बिहार के सुपौल ज़िले की बलहा पंचायत के रहने वाले संदीप बताते हैं,"ट्रक वाले ने कहा कि बॉर्डर बस एक किलोमीटर दूर है. रात दो बजे उसने हम सबको उतार दिया. मेरी बीबी का नौवां महीना है, वो सात किलोमीटर बहुत दर्द सहते हुए चली. बॉर्डर पर पहुंचे तो उन्होंने तापमान जांच का ठप्पा लगा दिया. पत्नी के पेट में बहुत दर्द हो रहा था, इसलिए हम सबसे पहले 100 रुपए का खाना ख़रीद कर बीबी-बच्चों को खिलाए."

इस बीच गोपालगंज सीमा पर पहुंचने से पहले भी संदीप के मुताबिक़ वो एक छोटे से अस्पताल में गए थे. जिसमें उन्हें ये कह कर भगा दिया कि ''दिल्ली वाला मरीज़ यहां लेकर क्यों आए हो?''संदीप के मुताबिक़ बॉर्डर पर उनसे सुपौल ज़िला जाने वाली बस में बैठने को कहा गया. लेकिन जब उन्होंने बस के अंदर देखा तो उसमें लोगों को ठूंसा गया था.

वो बताते हैं,"सोशल डिस्टेंसिंग बस में फेल थी. किसी को कोरोना ना भी हो, लेकिन वो अगर बस का सफ़र कर ले तो उसे कोरोना होने का ख़तरा था. तो हम लोगों ने एक गाड़ी ठीक की. जो गाँव पहुंचा दे. लेकिन पत्नी को बहुत दर्द होने लगा तो उसे गोपालगंज सदर अस्पताल ले गए."

 

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Aatm nirbhar bharat ko dekhte hue hmne faisla kiya hai ki Hm voting nhi krenge.. Sarkar Kyu chahiye ?

Very shaid

Saharanpur * अम्बाला हाईवे पर बिहार के मजदूरों का हंगामा * हाथों में लाठी, डंडे लेकर नीतीश सरकार के खिलाफ जमकर हंगामा * शहर की तरफ कर रहे कूच * मौके पर RAF; buses को बुलाया गया * एसएसपी, DIG समझा रहे लोगो को

Mai nivedan krna chahunga fir kabhi delhi mt ana

लाॅकडाउन अमीरों की सुरक्षा और ग़रीबों की दुर्दशा करने की खास विधि है।अगर आप अमीर हैं तो लाॅकडाउन में अंतरिक्ष की भी सैर कर सकते हैं।ऐसे समय में ग़रीब तो भूखे पेट नंगे पैर हजारों किलोमीटर तक पैदल चलने के लिए मजबूर किये जाते हैं।

इस दुःख की घड़ी मे क्या कोई इनका मदतगार नहीं

This is possible in any country?

कोरोना लाक डाऊन नही है प्रधानमंत्री जी का यह प्रवासी मजदूरो के लिए भूखो प्यासे पैदल चल कर मरो ना लाक डाऊन हो गया है

'बेड रेस्ट'कहने वाले सभी डाॅक्टरो को सबक।जनता ने समझ लीया पैसो की उगाहि?

Lekin Delhi me to kejriwal ji sabke khane pine ki vyavastha kar rahe h

yadavakhilesh

अंधेर नगरी चोपट राजा किया होगा अब इस देश का,,इसे यूँ भी बोल सकते है(लाल भुजक्कर) दो तीन दिन से जो चल रहा है

🙁🙁

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