जैसे जैसे कोविड-19 की महामारी दुनिया भर में बढ़ रही है, वैसे वैसे वैज्ञानिकों को नए कोरोना वायरस के बारे में एक अजीब, मगर बेहद चिंताजनक बात के सबूत पर सबूत मिल रहे हैं.
नए कोरोना वायरस के 'साइलेंट स्प्रेडर' का अंदाज़ा सबसे पहले सिंगापुर के डॉक्टरों को हुआ था. 19 जनवरी को जब सिंगापुर की एक चर्च में लोग सर्विस के लिए जमा हुए थे, तो उन्हें इस बात का क़तई अंदाज़ा नहीं था कि उनकी इस प्रार्थना सभा का असर पूरी दुनिया में कोरोना वायरस के प्रसार पर पड़ने जा रहा है. लेकिन, इसके एक हफ़्ते बाद, जब तीन अन्य स्थानीय लोग भी रहस्यमयी तरीक़े से कोरोना वायरस के संक्रमण से बीमार हो गए, तो डॉक्टर हैरान रह गए. ये सिंगापुर में कोरोना वायरस के प्रकोप का पहला सबसे अजीब मामला था. जब इस बात का पता लगा लिया गया कि इन लोगों तक वायरस कैसे पहुंचा, तो इससे बेहद डरावनी तस्वीर सामने आई.'बीमारी के गुप्तचर' जुटाने का अभियान
इसमें कॉन्टैक्ट ट्रेसिंग की बेहतरीन तकनीक का इस्तेमाल किया गया. आज ब्रिटेन में भी वायरस के संक्रमण का पता लगाने के लिए इसी का सहारा लिया जा रहा है. कॉन्टैक्ट ट्रेसिंग को इस महामारी के दौरान, हर संक्रमित व्यक्ति का पता लगाने के लिहाज़ से बेहद ज़रूरी माना जाता है. ये कोरोना वायरस के रहस्य का पर्दाफ़ाश करने की दिशा में बहुत उपयोगी शुरुआत थी. और अब सिद्धांत रूप से ये पता चल चुका था कि कोरोना वायरस का संक्रमण कैसे अन्य लोगों तक पहुंच रहा था. हालांकि, सिंगापुर के डॉक्टरों की इस तफ़्तीश से एक और महत्वपूर्ण सवाल का जवाब अब तक नहीं मिला था.
शायद ये वायरस उनके हाथ में था और उन्होंने चर्च में सीट को छुआ था और वायरस वहां से फैला. या फिर ये भी हो सकता है कि उनकी सांसों के ज़रिए वायरस ज़मीन पर फैला. हालांकि, ये अटकले हैं. पक्के तौर पर कुछ नहीं कहा जा सकता. क्योंकि, उसे न तो बुखार आ रहा था, न खांसी और न ही वायरस के संक्रमण के अन्य लक्षण उसमें सामने आए थे. अन्य बातों के अलावा, सिंगापुर के डॉक्टरों की इस रिसर्च से ये बात भी सामने आई कि किसी व्यक्ति में कोविड-19 बीमारी के लक्षण दिखने से 24 से 48 घंटे पहले का समय बेहद महत्वपूर्ण था.
छूना भी नए कोरोना वायरस के संक्रमण का एक और घातक ज़रिया हो सकता है. अगर वायरस किसी व्यक्ति के हाथ में है और वो किसी अन्य व्यक्ति या दरवाज़े के हैंडल या चर्च की सीट को छूता है, तो वायरस वहां पहुंच जाता है. अब वायरस के फैलने का रास्ता जो भी हो, लेकिन एक बात एकदम साफ़ है. मैरी ने इस बात को लेकर हमेशा नाराज़गी जताई थी. लेकिन, मैरी और बीमारी के इस संबंध का पता लगने के बाद अधिकारियों ने फिर और कोई जोखिम नहीं लिया. मैरी को 1938 में उसकी मौत तक, यानी क़रीब 23 साल तक अकेले बंद कर के रखा गया था.ब्रिटेन की नर्स एमेलिया पॉवेल उस वक़्त हैरान रह गईं, जब वो कोरोना पॉजिटिव निकलीं. जबकि एमेलिया में वायरस के संक्रमण का एक भी लक्षण नहीं था. एमेलिया, कैम्ब्रिज के एडेनब्रूक अस्पताल में नर्स हैं.
Ji batiye ham sunte hai
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