कलकत्ता हाई कोर्ट ने केंद्र सरकार को बड़ा झटका दिया है. दरअसल, पोलैंड के एक स्टूडेंट ने नागरिकता संशोधन कानून के खिलाफ प्रदर्शन किया था. इसके बाद केंद्र सरकार ने स्टूडेंट को भारत छोड़ने का आदेश दिया था. केंद्र के इस आदेश पर हाई कोर्ट ने रोक लगा दी है. स्टूडेंट जादवपुर यूनिवर्सिटी में पढ़ाई करता है.
जस्टिस सब्यसाची भट्टाचार्य ने सरकार के नोटिस पर 18 मार्च तक रोक लगा दी है. 18 मार्च को ही हाई कोर्ट पोलैंड के स्टूडेंट की याचिका पर अपना फैसला सुनाएगा. इस स्टूडेंट का कामिल सिडेसिनस्की है. फिलहाल वह जादवपुर यूनिवर्सिटी में पढ़ाई कर रहा था. विदेशी क्षेत्रीय पंजीकरण कार्यालय ने 14 फरवरी को भारत छोड़ने का नोटिस भेजा था.केंद्र ने किया याचिका का विरोध
हाई कोर्ट में पोलैंड के स्टूडेंट की याचिका का विरोध करते हुए केंद्र सरकार ने कहा था कि वीजा धारक होने के नाते स्टूडेंट भारतीय संसद द्वारा पारित कानून को चुनौती नहीं दे सकता है. केंद्र सरकार के वकील फीरोज एडुल्जी ने कहा कि एक विदेशी संविधान के अनुच्छेद 19 को चुनौती नहीं दे सकता, क्योंकि यह उसके लिए लागू नहीं था.24 फरवरी को नोटिस, 9 मार्च को देश छोड़ने का आदेश
पोलैंड के स्टूडेंट कामिल सिडेसिनस्की को 24 फरवरी को नोटिस भेजा गया था और उसे 9 मार्च को देश छोड़ने के लिए कहा गया था. हालांकि, स्टूडेंट ने कहा कि मैंने वीजा मानदंडों का उल्लंघन नहीं किया है. मैं सिर्फ जादवपुर यूनिवर्सिटी के स्टूडेंट्स के साथ गया था. वह अनजाने और जिज्ञासा के कारण गया था. यह आंदोलन शांतिपूर्ण था.स्टूडेंट के वकील ने कहा कि मैं जल्द ही दूसरों से अलग हो गया और एक दर्शक के रूप में किनारे पर खड़ा हो गया.
भीर भी हिटलर सरकार सुधरेगी नही
When everything is decided by the courts, Is there need of any Government in our country? Doesn't the court knows that the CAA is passed in the Parliament and who gives right to a foreigner to do protest against the law passed by our Parliament? Disgusting HMOIndia
अगर हर चीज में कोर्ट को ही करना है तो फिर parliament and minister police army kyu hai.
Because of this type of judgment outsiders can do anything. Ridiculous.
Ab chutiye court k judge asli terrorist or deshdrohi hain..
Very good giving invitation to all people living in India but are of foreign origin who have nothing to do with our matter are welcome to interfere very good why not give them voter rights so there influence increase more our Court are so courteous to piling up of problem
हाईकोर्ट के पास और कोई काम नहीं है
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