प्रमुख दलों के बीच भीतर ही भीतर रार ठनी है। एनडीए में भाजपा और जद एक दूसरे को पछाड़ने में जुटे हैं तो महागठबंधन में कांग्रेस की कोशिश है कि राजद के मुकाबले आधी सीटें लड़ने के बावजूद उसका स्ट्राइक रेट राजद से ज्यादा बेहतर हो, जिससे वह सत्ता की साझेदारी के अपने सारे विकल्पों को खुला रखे। बिहार के चुनाव नतीजे अगर किसी एक पक्ष में एकतरफा आए तो जैसा दिख रहा है वैसा ही बना रहेगा, लेकिन अगर नतीजे बिखरे तो बिहारी सियासत के बगीचे में नए गुल खिल सकते हैं और कौन कहां किसके साथ जाएगा कहना मुश्किल...
जद की भाजपा की इस रणनीति को समझते हुए इस कोशिश में है कि हर हालत में उसकी सीटें भाजपा के मुकाबले ज्यादा आनी चाहिए जिससे नीतीश कुमार के मुख्यमंत्री बनने में कोई बाधा भाजपा की तरफ से खड़ी न की जा सके। इसलिए एनडीए के ये दोनों घटक राष्ट्रीय जनता दल और कांग्रेस के महागठबंधन को लेकर उतने चिंतित नहीं हैं जितने कि एक दूसरे को लेकर। बिहार की कुल 243 विधानसभा सीटों में इस बार हर सीट पर बेहद दिलचस्प समीकरण और मुकाबला है और हर सीट पर स्थानीय समीकरण तय करेंगे कि नतीजों का ऊंट किस करवट...
2013 में नीतीश भाजपा से अलग हुए और जद ने 2014 का लोकसभा चुनाव अकेले लड़ा, लेकिन बुरी तरह हार के बाद नीतीश कुमार ने 2015 का चुनाव लालू प्रसाद यादव से दोस्ती करके राजद और कांग्रेस के साथ मिलकर लड़ा। तब राजद जद कांग्रेस महागठबंधन ने नीतीश कुमार के चेहरे और कामकाज को मुद्दा बनाकर भाजपा का मुकाबला किया और 178 सीटें जीतीं। इस चुनाव में राजद और जद ने सौ सौ और कांग्रेस ने 43 सीटों पर चुनाव लड़ा। इसमें राजद ने 81, जद ने 70 और कांग्रेस ने 27 सीटें जीती थीं। इस चुनाव में भी नीतीश कुमार की जीत का स्ट्राइक...
बिहार से जुड़े कांग्रेस के एक नेता का कहना है कि बहुमत तो महाराष्ट्र में भाजपा-शिवसेना गठबंधन को भी मिला था, लेकिन सरकार शिवसेना-कांग्रेस-एनसीपी की महाअघाड़ी की चल रही है। इस कांग्रेसी नेता के मुताबिक अगर जद की सीटें भाजपा से कम रह गईं और भाजपा ने अपना मुख्यमंत्री बनाने का दांव चलने की कोशिश की, तो नीतीश कुमार एनडीए छोड़कर कांग्रेस राजद एवं अन्य के साथ मिलकर सरकार बना सकते हैं। लेकिन यह तब मुमकिन होगा जब राजद उन्हें फिर मुख्यमंत्री स्वीकार कर ले और कांग्रेस राजद मिलकर इतनी सीटें जीत लें कि वह...
भाजपा ने इसके लिए चिराग पासवान के लोजपा कार्ड का जबर्दस्त इस्तेमाल तो किया ही है रालोसपा के उपेंद्र कुशवाहा का गठबंधन भी नीतीश की राह में कांटे बिछाने का काम कर रहा है। चिराग की लोक जनशक्ति पार्टी के चुनाव निशान पर भाजपा से निकलकर उसके कई कद्दावर नेता चुनाव लड़ रहे हैं, जो खुद जीतें या न जीतें जद को हराने का पूरा इंतजाम कर सकते हैं। और जो जीतेंगे वो आगे बढ़कर भाजपा के साथ खड़े हो जाएंगे क्योंकि खुद चिराग भी कह रहे हैं कि वह नरेंद्र मोदी के हनुमान हैं और उनके सीने में मोदी उसी तरह विराजमान हैं...
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बिहार चुनाव: अकेले चुनाव लड़ने को पिता ने किया था प्रेरित, NDTV से बोले चिराग पासवानBihar Assembly Election 2020: चिराग ने कहा कि उनके पिता ने स्पष्ट शब्दों में कहा था कि अगर फिर से पांच साल के लिए नीतीश सीएम बनते हैं तो यह राज्य के लिए एक बहुत बड़ी आपदा होगी. 😂😂 रामविलास पासवान जी से आपको वो मौसम की जानकारी वाला ज्ञान अवश्य लेना चाहिए था अपने भाग्य में राज योग रामविलास ही लेकर आये थे। जिसको इनके परिवार ने भी भोगा। रामविलास के साथ वो समय भी बीत गया।
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