ख़बर सुनेंरविवार को अरविंद केजरीवाल के तीसरी बार मुख्यमंत्री पद की शपथ समारोह को लेकर दिल्ली के अखबारों में पहले पन्ने पर पूरे एक पेज के विज्ञापन में कवितानुमा ये इबारत भी लिखी थी, जिसमें कहीं भी दिल्ली का जिक्र नहीं है बल्कि भारत पर जोर है। ये विज्ञापन और इन पंक्तियों को देखकर मुझे 2012 के गुजरात विधानसभा चुनावों में जीत के बाद तत्कालीन मुख्यमंत्री नरेंद्र मोदी का अहमदाबाद में भाजपा कार्यकर्ताओं को हिंदी में दिया गया भाषण याद आ गया, जबकि इसके पहले 2002 और 2007 के विधानसभा चुनावों में जीत के...
यह अरविंद केजरीवाल की राष्ट्रीय राजनीति की महत्वाकांक्षाएं ही थीं, कि 2013 में दिल्ली विधानसभा चुनाव में अप्रत्याशित रूप से 28 सीटें जीतने और कांग्रेस के समर्थन से 49 दिन तक दिल्ली में सरकार चलाने के बाद वह अप्रैल-मई 2014 में लोकसभा चुनावों के दौरान खुद नरेंद्र मोदी के खिलाफ वाराणसी से चुनाव में कूद पड़े और साथ ही देश के अनेक राज्यों में करीब चार सौ सीटों पर आम आदमी पार्टी ने अपने उम्मीदवार खड़े कर दिए। लेकिन तब देश में मोदी की लोकप्रियता की आंधी थी, जिसके सामने दिल्ली में नई राजनीति का यह ताजी...
उनका लक्ष्य देश की राजनीति में अपनी प्रभावशाली भूमिका स्थापित करना है और अब वह अपनी छवि और पार्टी दोनों का विस्तार दिल्ली से बाहर देश के अन्य राज्यों में करेंगे। इसका संकेत न सिर्फ अरविंद के मुख्यमंत्री पद के शपथग्रहण समारोह को लेकर दिए गए विज्ञापन की उपरोक्त पंक्तियों से मिला बल्कि शपथ ग्रहण के बाद अपने भाषण में केजरीवाल ने उन्हें बोला भी, इससे भी मिला। साथ ही केजरीवाल सरकार के वरिष्ठ मंत्री गोपाल राय की यह घोषणा कि अब अन्य राज्यों के स्थानीय निकायों के चुनावों में आप अपने उम्मीदवार खड़े...
मोदी सरकार-एक में वह जेएनयू के आंदोलनकारी छात्रों के साथ खड़े होकर भाजपा के टुकड़े-टुकड़े गैंग का होने का आरोप झेलते हैं, लेकिन 2020 के विधानसभा चुनावों के दौरान जेएनयू जामिया में छात्रों पर हमले होने के बावजूद अरविंद केजरीवाल वहां नहीं जाते और न ही शाहीन बाग के धरने से खुद को जोड़ते हैं। बल्कि हनुमान भक्ति में वह भाजपा
सवाल है कि क्या अरविंद केजरीवाल फौरन ही अपना देशव्यापी अभियान शुरू कर देंगे। केजरीवाल इतने सधे और परिपक्व राजनेता हो चुके हैं, कि वह पिछली गलती नहीं दोहराएंगे। वह 2014 के दूध से जल चुके हैं,इसलिए 2024 के छाछ को भी फूंक फूंक कर पिएंगे। पिछली सरकार की तरह केजरीवाल खुद अपने पास कोई विभाग नहीं रखेंगे। दिल्ली के विकास और किए गए वादों को पूरा करने की जिम्मेदारी संबंधित मंत्रियों के पास होगी। पार्टी के नेता अन्य राज्यों में दल के विस्तार का काम करेंगे। स्थानीय निकाय के चुनावों से पार्टी अपना जमीनी...
जगनमोहन रेड्डी, चंद्रशेखर राव जैसे क्षत्रप अरविंद केजरीवाल को अपना नेता मानेंगे। इसके जवाब में आप के एक वरिष्ठ नेता का कहना है कि जब राजीव गांधी से बगावत करके विश्वनाथ प्रताप सिंह बाहर निकले थे तो उनकी राजनीतिक हैसियत एक बागी केंद्रीय मंत्री की ही थी।
AamAadmiParty ArvindKejriwal VinodAgnihotri7 दिल्ली तक ही रहो भारत के बेटे बनने के सपने मत देखो
AamAadmiParty ArvindKejriwal VinodAgnihotri7 कन्हैया कुमार भी अपने आपको बिहार का बेटा बता रहा था अब रोज उन्ही बिहार की जनता से मार खा रहा है 😁😀😄😃
AamAadmiParty ArvindKejriwal VinodAgnihotri7 वो पहले अपने बाप का बेटा बन जाए वही बहुत हैं! कभी नमाज पढ़ता हैं तो कभी सेना से सूबुत मांगता हैं! खुजलीवाल गीरगीटाधिराज घुंघरू सेठ!
AamAadmiParty ArvindKejriwal VinodAgnihotri7 सपना कभी पूरा नही होगा
AamAadmiParty ArvindKejriwal VinodAgnihotri7 दिल्ही वालो के जैसे सब मुफ़्ती नही है।
AamAadmiParty ArvindKejriwal VinodAgnihotri7 Day dream that canny be realized...
AamAadmiParty ArvindKejriwal VinodAgnihotri7 घुघरू सेठ दिल्ली वाले मुक्तखोर है हिंदुस्तानी नही जय श्री राम🚩
AamAadmiParty ArvindKejriwal VinodAgnihotri7 आप क्रोनोलॉजी समझे पहले शिक्षा बजट में कमी फिर शिक्षण संस्थानों में बच्चो पर हमले फिर छात्राओं के साथ छेड़छाड़ जैसे मामले फिर बेरोजगारो को गोबर से रोजगार की बात और अब शिक्षित लोगो पर तलाक जैसे आरोप शिक्षा से इतनी नफ़रत ? vinodkapri ajitanjum anuragkashyap72 anubhavsinha
AamAadmiParty ArvindKejriwal VinodAgnihotri7 शिक्षा मंत्री मात्र 3200 वोटों से , स्वास्थ्य मंत्री 7500 वोटों से, परिवहन मंत्री 17,000 वोटों से और दंगाई, जेहादी मानसिकता वाला अमानतुललाह खान 72,000 वोटों से जीतता है तो सोचो एकबार कि ये काम बोलता है या मस्जिदों मदरसों से बढ़ता इस्लाम ? DelhiElections
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