The Chill Of The Chill And The Old Bodies Of The Farmers Who Are Spending The Night Under The Tractor Are Telling That Their Struggle Is Not Easyकिसान आंदोलन की ग्राउंड रिपोर्ट:
सुबह 4 बजे से पहले ही सिंघु बॉर्डर पर वाहे गुरु का पाठ शुरू हो जाता है, इसकी धुन से दिन की शुरुआत भी होने लगती है इस गाड़ी से कुछ ही दूरी पर दिल्ली पुलिस के बैरिकेड लगे हैं जो पिछले दिनों के मुकाबले कुछ ज्यादा मजबूत कर दिए गए हैं। बैरिकेड से आगे जीटी रोड पर कई किलोमीटर तक किसानों का हुजूम है। शुरुआत में ही एक स्टेज बना हुआ है जहां से किसान नेता इस आंदोलन को चलाने के लिए किसानों को संबोधित करते हैं। स्टेज के पास ही समन्वय समिति का अस्थायी कार्यालय है जहां से लगभग सभी चीजें नियंत्रित होती हैं।
रात बारह बजने तक पूरा इलाका लगभग सुनसान हो चुका है। सभी किसान अपने-अपने ट्रैक्टर-ट्रॉली में दाखिल हो चुके हैं, लेकिन इक्का-दुक्का लंगर अब भी चल रहे हैं जो सुनिश्चित कर रहे हैं कि यहां पहुंचा कोई व्यक्ति भूखा न सोए। दिल्ली के रोहिणी से आए व्यवसायी मोहन सिंह और उनके साथी भी पूरे इलाके का दौरा कर रहे हैं और देख रहे हैं इस ठंड में किसानों के संघर्ष को कैसे थोड़ा भी आसान बना सकते हैं।
रात जैसे-जैसे गहराती जाती है, सिंघु बॉर्डर पर लोगों की चहलकदमी और तापमान दोनों ही मद्धम होने लगते हैं और संयुक्त किसान मोर्चा की पहरेदारी लगातार पैनी होने लगती है। अब हर आने-जाने वाले से उनके इतनी रात में बाहर होने का कारण पूछा जाने लगता है। माहौल इस वक्त तक पूरी तरह शांत हो चुका है। पूरी रात खुलने वाले मेडिकल कैम्प और सुबह जल्दी नाश्ता करवाने वाले लंगरों के अलावा बाकी सभी लोग अब तक सो चुके हैं।
इक्का-दुक्का लंगर रात में भी चल रहे हैं, ताकि यहां पहुंचा कोई व्यक्ति भूखा न सोए। इसके साथ ही चाय की भी व्यवस्था है।
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