लेकिन बातचीत पूरी तरह सफल नहीं हो सकी। हालांकि बातचीत का सिलसिला आगे बढ़ा है और दो कानूनों को सरकार ने रद्द करने का भरोसा दिया है। इसे उम्मीद के रूप में देखते हुए किसानों ने भी कदम आगे बढ़ाया है।
किसान कुंडली बॉर्डर पर लगातार डटे हुए है। किसान नेताओं का कहना है कि उन्हें पहले ही पता था कि सरकार इतनी जल्दी किसानों की मांगों को नहीं मानेगी। पर जिस तरह से बातचीत का सिलसिला आगे बढ़ा है, इस पर किसान भी अच्छे से बातचीत को तैयार हैं। सरकार ने किसानों की दो मांगों पर सहमति जताई है। अब एमएसपी व तीन कृषि कानून को लेकर चार जनवरी को दोबारा बातचीत होगी। बुधवार को बातचीत अच्छे माहौल में हुई है। उम्मीद है जल्द हल निकल सकेगा। यह जरूर है कि जब तक सरकार से बातचीत में पूरी स्थिति साफ नहीं होगी, उस समय तक आंदोलन भी खत्म नहीं होगा। आंदोलन इस तरह ही चलता रहेगा। क्योंकि किसान अपने हक की लड़ाई लड़ रहा है।अभी सरकार से बातचीत का माहौल दोबारा बना है। कुछ बिंदुओं पर सहमति बनी है। अब चार जनवरी को दोबारा बातचीत होगी। तब अन्य बिंदुओं पर बातचीत...
किसान कुंडली बॉर्डर पर लगातार डटे हुए है। किसान नेताओं का कहना है कि उन्हें पहले ही पता था कि सरकार इतनी जल्दी किसानों की मांगों को नहीं मानेगी। पर जिस तरह से बातचीत का सिलसिला आगे बढ़ा है, इस पर किसान भी अच्छे से बातचीत को तैयार हैं।