किसान आंदोलनः आज होने वाली नौवें दौर की वार्ता साबित हो सकती है निर्णायक

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किसान आंदोलनः आज होने वाली नौवें दौर की वार्ता साबित हो सकती है निर्णायक FarmersProtest DelhiFarmersProtest SinghuBorder Delhiprotest nstomar PiyushGoyal

सुप्रीम कोर्ट के फैसले के बाद सरकार और किसानों के बीच शुक्रवार को होने वाली नौवें दौर की वार्ता निर्णायक साबित हो सकती है। इस वार्ता का फार्मूला लगभग तय है लेकिन ठोस हल के आसार कम हैं। गुरुवार को भारतीय किसान यूनियन ‘मान’ के राष्ट्रीय अध्यक्ष भूपिंदर सिंह मान को सुप्रीम कोर्ट की बनाई गई चार सदस्यीय कमेटी से अपनी ही यूनियन के दबाव के बाद नाता तोड़ना पड़ा। किसान आंदोलन के लिए फिर शुक्रवार अहम है।

कृषि मंत्री नरेंद्र सिंह तोमर भले सकारात्मक व खुले मन से वार्ता की उम्मीद जता रहे हों, लेकिन भाकियू डकौंदा के अध्यक्ष बूटा सिंह बुर्जगिल का मानना है कि सरकार इस बैठक में यही बता सकती है कि सुप्रीम कोर्ट ने जो कमेटी बनाई है, उसके पास अपना पक्ष रखें। कानून के बिंदुओं पर एतराज गिनाएं। भाकियू मान की राष्ट्रीय अध्यक्ष की कुर्सी खिसकती देख आनन-फानन में भूपिंदर सिंह मान को बैकफुट पर आना पड़ा। मान ने पंजाब व किसानों के हित का हवाला देकर खुद को सुप्रीम कोर्ट की कमेटी से अलग करने का एलान किया। हालांकि, भाकियू मान में भूपिंदर सिंह मान का अब ‘सम्मान’ ही सवालों में है।सरकार और किसान संगठनों की चिंता 26 जनवरी के ट्रैक्टर मार्च को लेकर है। 15 जनवरी की वार्ता के अगले दिन संयुक्त किसान मोर्चा की बैठक है। इस बीच सरकार और आंदोलनकारी किसान दोनों नौवें दौर की वार्ता में एक-दूसरे का मन टटोल...

सुप्रीम कोर्ट के फैसले के बाद सरकार और किसानों के बीच शुक्रवार को होने वाली नौवें दौर की वार्ता निर्णायक साबित हो सकती है। इस वार्ता का फार्मूला लगभग तय है लेकिन ठोस हल के आसार कम हैं। गुरुवार को भारतीय किसान यूनियन ‘मान’ के राष्ट्रीय अध्यक्ष भूपिंदर सिंह मान को सुप्रीम कोर्ट की बनाई गई चार सदस्यीय कमेटी से अपनी ही यूनियन के दबाव के बाद नाता तोड़ना पड़ा। किसान आंदोलन के लिए फिर शुक्रवार अहम है।शुक्रवार को ही किसान आंदोलन के बहाने कांग्रेस अपनी राजनीतिक जमीन तलाशेगी। किसानों के समर्थन और कृषि...

लोकतांत्रिक फैसले के लिहाज से भविष्य में कानूनों में संशोधन का भरोसा मिल सकता है। बूटा सिंह की दो टूक राय है कि कमेटी या कमेटी में नुमाइंदगी की पेशकश संयुक्त किसान मोर्चा को पहले से ही नामंजूर है। यह महज संयोग है कि 15 जनवरी को जब सरकार और किसानों के बीच वार्ता हो रही होगी तो कांग्रेस राज्यों में किसान अधिकार दिवस मनाकर अपनी सियासी जमीन तलाश रही होगी।सुप्रीम कोर्ट की चार सदस्यीय कमेटी को बाय-बाय करने की भूपिंदर सिंह मान की मजबूरी की अंतर्कथा है। भूपिंदर सिंह मान के खिलाफ भाकियू मान में ही बगावत...

 

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nstomar PiyushGoyal किसान नेताओं के अड़ियल रुख को देख कर मुझे कल (15-जनवरी) की वार्ता सिर्फ समय की बर्बादी ही लगती है। किसान नेताओं को समाथान नहीं चाहिए। वे केवल सरकार को झुकाना चाहते हैं। nstomar PiyushGoyal किसान_आंदोलन FarmerProtest FarmersProtestHijacked

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