बिहार में मानसून की दस्तक के साथ ही साइबेरियन पक्षी पेड़ों पर अपना आशियाना बनाने में जुट जाते हैं. गया शहर की बात करें, तो समाहरणालय, एसएसपी ऑफिस, सिविल कोर्ट और जिला परिषद कार्यालय में लगे पेड़ों पर इन पंक्षियों ने अपना आशियाना बनाया है. भारत में साइबेरियन पक्षी को जांघिल, घोघिंल कहा जाता है. यह पक्षी 40 वर्षों से भारत के अन्य राज्यों में ब्रीडिंग करने आते हैं. भारत में इस पक्षी को संरक्षित घोषित किया है. साइबेरिया पक्षी का शिकार करना या पकड़कर रखना गैरकानूनी है.
यह पक्षी बिहार में गया, नवादा, जहानाबाद, औरंगाबाद, पटना, मुजफ्फरपुर और भागलपुर के इलाकों में हजारों के झुंड में आकर घोंसला बनाते हैं और प्रजनन करते हैं. यह पक्षी किसानों के लिए दुश्मन जैसा काम करता है. यह सैकड़ों की संख्या में झुंड में खेत में उतरकर घोंघा और केंचुआ खा जाते हैं, जो खेत के लिए काफी नुकसानदेह होता है. इसके अलावा आम लोगों के लिए भी यह पक्षी नुकसानदेह है. यह पक्षी वायरस का वाहक है और एच सिरिज की सभी वायरस को फैलाने के लिए इसे जाना जाता है.
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