पंजाब से दिल्ली की तरफ मार्च कर रहे किसानों के काफ़िले को रोकने की सरकार ने हरसंभव कोशिश की. सड़कों पर बैरिकेड लगाये, सड़के खोद दीं, पानी की बौछारें कीं, लेकिन किसान हर बाधा को लांघते हुए दिल्ली पहुँच गए.
अब किसानों ने शनिवार और रविवार की वार्ता पूरी होने से पहले ही आठ दिसंबर को भारत बंद का ऐलान कर दिया है. क्या ये वार्ता को डीरेल यानी पटरी से उतारने का एक प्रयास है? प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी बार-बार यह कहते रहे हैं कि ये कृषि क़ानून किसानों के हित में हैं और किसानों को प्रदर्शन करने के लिए बरगलाया गया है.
नव-निर्माण किसान संगठन से जुड़े अक्षय सिंह कहते हैं, "ओडिशा दिल्ली से दो हज़ार किलोमीटर दूर है. हमारे किसान यहाँ तो नहीं पहुँच सकते, लेकिन हम ओडिशा में आंदोलन तेज़ करने जा रहे हैं. यदि सरकार ने ये क़ानून वापस नहीं लिये तो हम हर ज़िले में प्रदर्शन करेंगे. ये अब सिर्फ़ किसान आंदोलन नहीं है, बल्कि सरकार की नीतियों के ख़िलाफ़ एक जनांदोलन है."
The information given to the BBC channel is incorrect. No one has said that there is a demand for amendment in the agriculture law bills. The farmers have already demanded the government to repeal the agriculture law.Nor have the farmers' organizations run away from anything
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