वह किसान जैसा दिख रहा था, सो पुलिसवालों ने उसे रोक लिया था। पूछताछ की थी और वह वास्तव में किसान ही निकला था। उनकी सघन तहकीकात ने व्यक्ति का सच उभार दिया था। सिपाहियों की कार्रवाई और सूझबूझ से बड़े साहब खुश हुए थे। सिपाहियों ने फटे नंगे पैरों, मैली धोती और उसके ऊपर झूलते कुर्ते की वजह से उसे ताड़ लिया था और फिर रोक कर ऐसे तीखे सवाल पूछे थे कि उसको अपनी असलियत स्वीकार करनी पड़ी थी। यह पुलिस की बड़ी उपलब्धि थी, किसान को पहचानना कोई हंसी-खेल नहीं था। शहर के बॉर्डर पर भीड़ वाले इलाके में जहां सब...
कर पूछा था। अरे, तार-तार का मतलब है कहीं का तार कहीं जोड़ दो.
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