नई दिल्ली. हाईकोर्ट ने मंगलवार को कहा कि महाराष्ट्र सरकार ने पुरानी और जर्जर असुरक्षित इमारतों को अधिग्रहित करने के लिए एक कानून बनाया है क्योंकि किरायेदार हट नहीं रहे और मकान मालिकों के पास मरम्मत के लिए पैसे नहीं हैं. न्यायालय ने इस बात पर गौर करते हुए टिप्पणी की कि क्या निजी स्वामित्व वाले संसाधनों को ‘‘समुदाय का भौतिक संसाधन’’ माना जा सकता है. प्रधान न्यायाधीश डी.वाई. चंद्रचूड़ ने महाराष्ट्र के कानून के खिलाफ भूस्वामियों द्वारा दायर कई याचिकाओं पर सुनवाई करते हुए यह टिप्पणी की.
इन इमारतों की मरम्मत के लिए, महाराष्ट्र आवास एवं क्षेत्र विकास प्राधिकरण कानून, 1976 वहां रहने वालों पर उपकर लगाता है, जिसका भुगतान मुंबई भवन मरम्मत एवं पुनर्निर्माण बोर्ड को किया जाता है, जो इन इमारतों की मरम्मत करता है. यह भी पढ़ें:- धर्मनिरपेक्षता की आड़ में… दिल्ली दंगों पर हाईकोर्ट का कड़ा रुख, जज बोले- शहर को आग लगाने की रची गई थी साजिश मुख्य याचिका 1992 में दायर की गई थी और 20 फरवरी, 2002 को इसे नौ-न्यायाधीशों की पीठ को भेज दिया गया.
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