रूस और यूक्रेन के बीच युद्ध का आज 11वां दिन है। इतने दिनों में रूस ने यूक्रेन के पूर्वी शहरों को बमों से पाट दिया है। प्रेसिडेंट जेलेंस्की लगातार आम लोगों से बंदूकें उठाने की अपील कर रहे हैं। एक लाख से ज्यादा लोग आगे भी आए हैं, लेकिन प्रॉपर ट्रेनिंग की कमी के चलते उनकी सीमाएं भी हैं। अमेरिकी एक्सपर्ट एडवर्ड लुटवक कहते हैं कि जेलेंस्की को फिनलैंड जैसे छोटे से देश से सीखना चाहिए था, जिसने 80 साल पहले आम नागरिकों के दम पर तीन महीने तक सोवियत आर्मी से टक्कर ली...
युद्ध की आहट पर अलर्ट हो गया था फिनलैंड। अक्टूबर से ही आम लोगों को एडिशनल ट्रेनिंग शुरू कर दी गई थी। 30 नवंबर 1939 को जब युद्ध शुरू हुआ तो लोग लड़ने के लिए तैयार थे।फिन्स गुरिल्ला मॉडल के मुताबिक दुश्मन देश की फौज को अपने देश की सीमाओं के भीतर आने से रोकना नहीं है, बल्कि उनका इंतजार करना है। जैसे ही उनके टैंकों का आगे बढ़ना रुके, सोल्जर्स टॉयलेट के लिए या खाना बनाने और आराम करने के लिए बाहर आएं, बस उन पर टूट पड़ो, उन्हें घेरकर मार दो।1914 में फर्स्ट वर्ल्ड वॉर के दौर में जर्मनी ने फिनलैंड के...
युद्ध की शुरुआत में रूस के पास करीब सवा लाख सैनिक थे, जिसे बढ़ाकर रूस ने 7 लाख 60 हजार कर दिया था। वहीं फिनलैंड की आर्मी केवल 3 लाख सैनिकों की थी, जो बमुश्किल 3 लाख 40 हजार तक पहुंच सकी थी। रूस के पास शुरू में 2,514 टैंक थे, जिसे बढ़ाकर 6,500 तक कर दिया गया था। वहीं फिनलैंड के पास महज 32 टैंक थे। रूस के पास 3,880 लड़ाकू एयरक्राफ्ट थे जबकि फिनलैंड के पास केवल 114 जेट विमान थे।
sandhyadwivedi1 फिनलैंड के 80 साल पुराने लौहे को पिघलाने ने लगे यूक्रेन के राष्ट्रपति ताकि शुद्ध लोहे हो बेच अपने घर का किराया भर सकें.
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