सुनवाई कर निस्तारण का काम प्रशासन का होता था। कमिश्नरी में मजिस्ट्रेटी पॉवर मिलने के बाद अब इन मामलों की सुनवाई डीसीपी की कोर्ट में होगी।
पुलिस के पास जमीन विवाद के अधिकतर ऐसे मामले पहुंचते हैं, जिनमें दो या इससे अधिक लोग एक ही संपत्ति पर दावा करते हैं। कमिश्नरी से पहले पुलिस इन शिकायतों को मजिस्ट्रेट के पास भेजती थी। मजिस्ट्रेट जांच कर रिपोर्ट पुलिस को भेजते थे। उनके फैसले के आधार पर पुलिस कार्रवाई करती थी। अब इसमें प्रशासन की भूमिका खत्म हो गई है। शिकायतों को पुलिस सीधे संज्ञान में लेगी और एसीपी रैंक के अफसर जांच करेंगे। मजिस्ट्रेटी पॉवर का इस्तेमाल कर मामले की सुनवाई करेंगे। दोनों पक्षों को सुनने के साथ तथ्यों और साक्ष्यों के आधार पर फैसला लेंगे। इस फैसले के आधार पर ही पुलिस की कार्रवाई आगे बढ़ेगी।थानेदारों की तैनाती और उनके कार्यक्षेत्रों में बदलाव खुद पुलिस कमिश्नर करेंगे। पुलिस चौकियों के प्रभारी की तैनाती और उनके कार्यक्षेत्र में बदलाव की...
उनके फैसले के आधार पर पुलिस कार्रवाई करती थी। अब इसमें प्रशासन की भूमिका खत्म हो गई है। शिकायतों को पुलिस सीधे संज्ञान में लेगी और एसीपी रैंक के अफसर जांच करेंगे। मजिस्ट्रेटी पॉवर का इस्तेमाल कर मामले की सुनवाई करेंगे। दोनों पक्षों को सुनने के साथ तथ्यों और साक्ष्यों के आधार पर फैसला लेंगे। इस फैसले के आधार पर ही पुलिस की कार्रवाई आगे बढ़ेगी।थानेदारों की तैनाती और उनके कार्यक्षेत्रों में बदलाव खुद पुलिस कमिश्नर करेंगे। पुलिस चौकियों के प्रभारी की तैनाती और उनके कार्यक्षेत्र में बदलाव की...
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