यक्ष प्रश्न-2कभी 85 में से 83 सीटें थीं, आज सिर्फ 1; कैसे वीपी सिंह ने बिगाड़ा गांधी परिवार का खेलएक दौर में उत्तर प्रदेश कांग्रेस का सबसे मजबूत गढ़ हुआ करता था। 33 साल UP में कांग्रेस की सरकार रही। पंडित नेहरू से लेकर राहुल गांधी तक, पूरा नेहरू-गांधी कुनबा UP से चुनाव लड़ता और जीतता रहा।1984 में पार्टी ने 85 में से 83 लोकसभा सीटें जीत ली थीं। उस साल कांग्रेस को 51% वोट मिले थे। तब उत्तराखंड यूपी का हिस्सा...
तब रेड क्रॉस रोड पर 5 और 7 नंबर में प्रधानमंत्री राजीव गांधी रहते थे। कार साधारण थी, इसलिए सुरक्षाकर्मियों ने रोक लिया, लेकिन अगली सीट पर बैठे वीपी सिंह को वे पहचान गए। राजीव ने कहा- ‘भारत की आजादी कब छिनी, जब मीरजाफर और राजा जयचंद जैसे गद्दारों ने विदेशी ताकतों से हाथ मिलाया। आप ऐसे लोगों से सतर्क रहें। यह लोग विदेशी ताकतों से हाथ मिलाकर देश के हितों को बेच रहे हैं।’
उन्होंने जवाब दिया- ‘मैं कांग्रेस में हूं। आप कहेंगे तो राजनीति छोड़कर इलाहाबाद चला जाऊंगा। चुपचाप पढ़ूंगा-लिखूंगा। आपको यकीन नहीं हो, तो मैं हरिद्वार चला जाता हूं। अगर आप काम देना चाहते हैं, तो मुझे आंध्र प्रदेश या कर्नाटक भेज दीजिए। दोनों राज्य आपके हाथ से निकल गए हैं। मैं उन्हें लाकर आपको दे दूंगा।’इस पर वीपी ने कहा- ...
इधर राजीव के साथ बोफोर्स घोटाले में इलाहाबाद से सांसद रहे अमिताभ बच्चन का नाम भी जुड़ गया। अमिताभ की छवि खराब हो रही थी। दबाव में आकर उन्होंने इस्तीफा दे दिया। इलाहाबाद उपचुनाव, राजीव गांधी के लिए साख का सवाल था। उन्होंने पूरी ताकत झोंक दी थी। UP की कांग्रेस सरकार भी पूरी कोशिश कर रही थी, लेकिन जीत मिली वीपी सिंह को। तब फैजाबाद और मेरठ जिले में हुए उपचुनाव भी कांग्रेस हार गई थी।
वीपी ने चुनौती दी कि लोटस और राजीव का मतलब एक ही है। अगर यह बात गलत निकली, तो वो संन्यास लेने को तैयार हैं। दबाव में राजीव गांधी ने मई 1986 में सुप्रीम कोर्ट के फैसले को पलट दिया। इसके बाद उन पर मुस्लिम तुष्टिकरण के आरोप लगने लगे। हिंदू संगठनों विरोध में सड़कों पर उतर गए थे। राजीव गांधी को प्रधानमंत्री पद से इस्तीफा देना पड़ा। जनता दल के वीपी सिंह प्रधानमंत्री बने और यूपी में उन्होंने मुलायम सिंह को मुख्यमंत्री बनवाया। यानी, केंद्र और यूपी दोनों जगह जनता दल की सरकार बनी।प्रधानमंत्री बनने के करीब 10 महीने बाद अगस्त 1990 में वीपी सिंह ने OBC आरक्षण के लिए मंडल कमीशन की सिफारिशों को लागू करने का ऐलान कर दिया।तब वीपी सिंह की सरकार लेफ्ट और BJP के समर्थन पर टिकी थी। दोनों ही उसे बाहर से समर्थन दे रहे...
25 सितंबर 1990 को BJP नेता लालकृष्ण आडवाणी ने गुजरात के सोमनाथ से अयोध्या के लिए राम रथयात्रा की शुरुआत की। इसे मंडल बनाम कमंडल की राजनीति कहा गया। बाद में आडवाणी ने कहा भी था कि मंडल कमीशन नहीं आता, तो हम रथयात्रा नहीं करते।अगले दिन लखनऊ में अटल बिहारी वाजपेयी गिरफ्तार हो गए। इसके बाद BJP ने समर्थन वापस लेकर वीपी सिंह की सरकार गिरा दी।
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