जब मुझसे पूछा जाता है, कश्मीर में क्या हालात हैं, मैं कहना चाहता हूं,"दर्द को रुकने दें, तभी जवाब दे पाऊंगा..." मुझे अब भी चैन नहीं मिला, ताकि मैं इसके बारे में लिख सकूं, बात कर सकूं. हालात पर अभी तक यकीन ही नहीं हुआ है, न एक कश्मीरी के तौर पर, न रिपोर्टर के तौर पर. यह कोई रोज़मर्रा की ख़बर नहीं है, यह मेरी अपनी कहानी है.एक इलाका, जो हिंसा की चपेट में रहा है. यहां के लोगों, जिनका बड़ा हिस्सा कानून और संविधान के साथ रहे हैं और आतंकवाद व अलगाववाद से लड़े हैं, को मजबूर कर दिया गया है.
लेकिन ज़मीनी हकीकत यही है कि सख्त कर्फ्यू लागू है. कोई भी खुलेआम कहीं नहीं आ-जा सकता है, बैरिकेड लगे हैं, और निष्ठुर दिखने वाले सुरक्षाकर्मी पूछते हैं - 'कर्फ्यू पास कहां है...?' या कहते हैं - 'इजाज़त नहीं है...' कल मैं आंखों की रोशनी से महरूम एक शख्स से मिला. जो किसी की मदद से सड़क पार कर रहा था. मैंने उनसे पूछा कि वह कहां जा रहे हैं, तो उन्होंने बताया कि वह मस्जिद से घर लौट रहे हैं. जब उनसे पूछा कि क्या आप जानते हैं कि आपके आसपास क्या हो रहा है, तो उन्होंने कहा,"मैं सब जानता हूं... अगर वे कह रहे हैं कि अनुच्छेद 370 और विशेष दर्जा खत्म हो जाने और केंद्रशासित प्रदेश बना दिए जाने से कश्मीरी बहुत खुश हैं, तो उनसे कहो कि कर्फ्यू हटा दें...
कर्फ्यू को बड़ाचढा कर पेश ना करे, ये किसी घटना के बाद का कर्फ्यू नहीं है, ये अहतियातन कर्फ्यू हैं कि कोई घटना होने ना पाए। आप जिम्मेदार चैनल है, जिम्मेदारी से काम ले.
काश की तुम जैसे चैनल वाले 90 की दशक का भी रिपोर्टिंग करते जब कश्मीर जल रहा रहा था पण्डितो पर घनघोर अत्याचार हो रहा था..!! आज कश्मीर बिल्कुल शांत है कोई अत्यचार नहीं हो रहा है कश्मीरी धैर्य रखे आने वाला कल आपका है...
एक बड़े मर्ज का इलाज होगा तो थोड़ी तकलीफ़ तो शरीर को भी सहनी पड़ेगी, यहां तो 72 साल पुराने कैंसर का इलाज हुआ है। लेकिन जल्द ही सब ठीक हो जायेगा, थोड़ी बंदिशें ही लगी हैं 90की तरह खून, बलात्कार,घर-निकाला नहीं हुआ है और न होगा। इसलिए थोड़ा समय दें और तसल्ली रखें।सब ठीक होगा।
आपके ज्ञान के लिये जरा अपना पाकी दिमाग पर थोड़ा जोर देकर सोचो जब मोदीजी उस काल नाग की देह में हाथ डाल दिया तो विदेशी प्रेमी मीडिया,टुकड़े गैंग,अवर्डवाप्सी, अर्बर्न नक्सलियों के भेजें में हाथ डालकर सारी गद्दारी का हिसाब चुकने में कितना वक्त लगायेंगे।
अरे मादर जात की साले शर्म नही आती है पाकिस्तान की भाषा बोलने में।
सबसे ज़्यादा NDTV छाती पीट रहा है , रोज़ बढ़ा चढ़ा कर ऐसी खबर दिखा कर भारत की सरकार को तानाशाह की तरह दिखा रहा है NDTV
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