मामला संसद तक पहुंचा और दो संसदीय समितियों ने हालात का जायज़ा लेकर अपनी रिपोर्ट में ग़ैर-विस्थापित पंडित समुदाय की दारूण सामाजिक-आर्थिक स्थितियों का हवाला देते हुए उनकी मांग का समर्थन किया.
इसमें ग़ैर-विस्थापित पंडितों को पैकेज के तहत 500 नौकरियाँ दिए जाने और मकान बनवाने के लिए आर्थिक मदद दिए जाने सहित कई महत्त्वपूर्ण निर्णय थे. हालांकि घाटी के सिखों की ओर से स्टे लिए जाने के कारण अंतिम फ़ैसला 2017 में आ पाया लेकिन अभी तक इसे लागू नहीं किया गया है.प्रधानमन्त्री पैकेज के तहत समिति से जुड़े घाटी के वरिष्ठ पत्रकार मनोहर ललगामी इसके लिए स्थानीय प्रशासन की लापरवाही और असहयोग को ज़िम्मेदार बताते हैं.
संजय कहते हैं कि जो चले गए उनको वापस लाने की इतनी बात होती है लेकिन जो इतने मुश्किल हालात में भी टिके हुए हैं उन्हें सम्मानजनक ज़िन्दगी दिलाने की ओर किसी का ध्यान नहीं है. राज्य के केंद्र शासित प्रदेश बनने के बाद हालात और बिगड़े हैं तथा राजनैतिक शक्तियों के अभाव में अधिकारियों की मनमानी बढ़ती गई है.महबूबा मुफ़्ती की बेटी ने कहा कि इमरान ख़ान के भाषण के बाद कश्मीर के लोगों को अच्छा लगा.
कश्मीरीपंडित की अनदेखी आखिर कब तक ? कश्मीरी पण्डितों को न्याय अब तक क्यों नहीं मिला ? narendramodi ji PMOIndia ब्रह्मसेना
सरकार गैर विस्थापित पंडितों कि जायज मांगो को माने। इन्होने काफी कुछ भुगता है।
ये लोग ऐसे ही अनशन में बैठे रह जायेंगे. क्यों की कुछ झोलाछाप पत्रकार जिसे यह भी पता नहीं किन राज्यों में मैजोरिटी मिनोरिटी में है वहा पर हुए नरसंहार को अनदेखा कर नरसंहार करने वालो को बेचारा कह कर बचाने की कोसिस की
Kiyu ke muslim ne uska gar jalaya or mar dala isliye
कश्मीर पंडित- दुनिया में तो अब कोविड आया है हम तो पिछले तीस साल से जबान पर पट्टी बांधकर जी रहे हैं. कब तक मर-मर के जियेंगे भाई साहब?😢
दाहम समयसे ब्राह्मण बंगाल सिंध पाली कश्मीर ..... यहाँ से वहां वहां से यहाँ भागते मंदिर सुरक्षा मे सपरिवार कटते रह,रहे ! कभी थोक में सम्राट अशोक तो कभी योगी राज काट रे समझो जान है तो जहांन है! भाजपा राज है जान आर्थिक या हथियार से सांसत में है!😢
किसान के पक्ष की भी न्यूज़ दिखाओ। national media तो बिकाऊ है ही है । तुम तो दिखाओ न्यूज़ किसानो की। BBCIndia
जिस देश में कश्मीरी पंडित इतना बड़ा मुद्दा हैं वहाँ नौ दिन बीत जाने के बाद भी नेशनल कांफ्रेंस के अलावा किसी राजनैतिक दल ने ग़ैर-विस्थापित पंडितों की इन जायज़ मांगों के प्रति कोई समर्थन प्रदर्शित नहीं किया है और मुख्यधारा मीडिया से लेकर सोशल मीडिया तक में इसे लेकर कोई हलचल नहीं है
Because as per Universal Law, we have not send Kashmiri Muslim in Pakistan!
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