की राजधानी हैदराबाद में एक युवती को दुष्कृत्य के बाद जलाकर मार दिया गया। इस घटना से देशभर में भावनाएं एकबार फिर उबल पड़ी हैं।
ऐसी घटनाओं के लिए जिम्मेदार कौन है, प्रशासन जो नागरिकों की सुरक्षा के लिए उत्तरदायी है। या फिर समाज खुद, अपने अपनी बेटियों की रक्षा नहीं कर पा रहा है। ऐसे ही सवालों के जवाब जानने के लिएइस तरह की घटनाएं हमारे देश में रुक नहीं रही हैं। चिंताजनक बात यह है कि इससे देश के सिस्टम को कोई फर्क भी नहीं पड़ रहा है। 2012 में जब मेरी बेटी के साथ घटना हुई थी तो पूरे देश में धरना—प्रदर्शन हुआ था। लेकिन सब बेकार होता दिख रहा है। मामले को अदालत में सात में साल हो गए हैं। दो बार सुप्रीम कोर्ट से फैसला आ चुका है...
जिस पर गुजरती है, वही दर्द भी जानता है। आज मेरे पास बेटी नहीं केवल उसकी यादें हैं। एक तरफ तो कहा जाता है बच्चियों को पढ़ाओ, लेकिन सच्चाई यह है कि बच्चियों को छिपाकर रखने जैसे हालात हैं। हैदराबाद में बेटी काम के बाद वापस लौट रही थी। उसकी गलती क्या थी, जो उसके साथ ऐसा हुआ। दरअसल सजा न मिलने से मुजरिमों के हौसले बढ़े हुए हैं। देश में ऐसे मामलों की भरमार है, जिसमें बलात्कार करने वाले आरोपी पीड़ितों को धमकी देते हैं। पुलिस में मुकदमा दर्ज कराने पर हत्या तक की कोशिश होती है। बलात्कारियों को छोड़ेंगे...
फास्ट ट्रैक को वाकई फास्ट बनाए जाने की जरूरत है। मैं 2012 से कह रही हूं कि हमें इन दरिंदों के खिलाफ एकजुट हो जाना चाहिए वरना वो ऐसे ही बलात्कार करते रहेंगे।जानिए: इन सवालों पर क्या था निर्भया की मां का जवाबमां होने के नाते, आपके अनुसार ऐसे लोगों को क्या सजा मिलनी चाहिए? की राजधानी हैदराबाद में एक युवती को दुष्कृत्य के बाद जलाकर मार दिया गया। इस घटना से देशभर में भावनाएं एकबार फिर उबल पड़ी हैं।अमर उजाला प्रीमियम लेख सिर्फ रजिस्टर्ड पाठकों के लिए ही उपलब्ध हैंपूर्ण विश्लेषण के साथ विचारपूर्ण...
ऐसी घटनाओं के लिए जिम्मेदार कौन है, प्रशासन जो नागरिकों की सुरक्षा के लिए उत्तरदायी है। या फिर समाज खुद, अपने अपनी बेटियों की रक्षा नहीं कर पा रहा है। ऐसे ही सवालों के जवाब जानने के लिएसवाल:हैदराबाद वाली घटना के लिए असली जिम्मेदार कौन है?इस तरह की घटनाएं हमारे देश में रुक नहीं रही हैं। चिंताजनक बात यह है कि इससे देश के सिस्टम को कोई फर्क भी नहीं पड़ रहा है। 2012 में जब मेरी बेटी के साथ घटना हुई थी तो पूरे देश में धरना—प्रदर्शन हुआ था। लेकिन सब बेकार होता दिख रहा है। मामले को अदालत में सात में...
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कभी नही। क्योंकि हम कुणठित समाज हैं।
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