कनीमोझी के बाद कुमारस्वामी बोले-साउथ के नेताओं से मौके छीनती है हिंदी पॉलिटिक्स

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कनिमोझी के बाद अब कुमारस्वामी ने खोला मोर्चा, हिन्दी बनाम दक्षिणी भाषा का विवाद गरमाया

द्रविड़ मुनेत्र कड़गम की नेता कनिमोझी के ट्वीट के बाद से ही एक बार फिर दक्षिण भारत में हिन्दी विरोध के सुर तेज हो गए हैं. सोमवार सुबह पूर्व केंद्रीय मंत्री पी. चिदंबरम ने अपने साथ की घटना साझा की और अब कर्नाटक के पूर्व मुख्यमंत्री एचडी कुमारस्वामी ने ट्वीट की झड़ी लगाकर बड़े आरोप लगाए हैं. कुमारस्वामी ने कहा कि हिन्दी भाषा राजनीति अक्सर दक्षिण भारतीय नेताओं से मौके छीनती है.

लगातार कई ट्वीट करते हुए एचडी कुमारस्वामी ने लिखा, ‘डीएमके की सांसद से पूछा गया कि क्या आप भारतीय हैं? कनिमोझी के साथ हुए इस अपमान के खिलाफ मैं अपनी आवाज उठाता हूं. ये बहस का विषय है कि किस तरह दक्षिण भारत के नेताओं से हिन्दी भाषा राजनीति ने अवसर छीन लिए हैं. हिन्दी राजनीति ने कई दक्षिण भारतीय नेताओं को प्रधानमंत्री बनने से रोका’.

कुमारस्वामी ने लिखा, ‘एचडी देवगौड़ा, करुणानिधि, कामराज इनमें प्रमुख हैं. हालांकि, देवगौड़ा इस बैरियर को तोड़ने में सफल रहे, लेकिन ऐसे कई मौके आए जब उन्हें भाषा को लेकर आलोचना का सामना करना पड़ा. तब हिन्दी राजनीति तब सफल भी हो गई थी, जब देवगौड़ा को लालकिले से हिन्दी में भाषण देना पड़ा. पीएम देवगौड़ा सिर्फ इसलिए माने क्योंकि अधिकतर किसान यूपी-बिहार से थे.’पूर्व सीएम ने लिखा, ‘मेरे साथ भी यही अनुभव रहा, मैं दो बार लोकसभा का सदस्य रहा हूं. सत्ताधारी दल दक्षिण भारत के लोगों को इग्नोर करते हैं.

'Hindi politics' was successful in making the then PM Deve Gowda deliver his Independence Day speech from the Red Fort in Hindi. PM Deve Gowda finally agreed only because of farmers from Bihar & UP. To this extent Hindi politics works in this country.— H D Kumaraswamy August 10, 2020 उन्होंने लिखा कि सिर्फ राजनीति नहीं बल्कि सरकारी, प्राइवेट जॉब के लिए भी लोगों को अंग्रेजी या हिन्दी लिखनी पड़ती है. इस साल भी IBPSmosa में कन्नड़ को कोई जगह नहीं मिली है.

इसी के बाद से ही कई अन्य नेताओं ने भी आवाज बुलंद की है. सभी नेताओं के द्वारा मिले समर्थन के बाद कनिमोझी ने सभी का शुक्रिया किया.

 

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AAP English seekh sakte hain Lekin apni bhasha Hindi nahi, kyon? Isn't it shameful.

नयी आग लगाकर उसमें रोटियां सेँकनी है। पर चूल्हा तो ठँढा ही है।

ये सब बकवास कर रहे है। हिंदी है, हम वतन है। ये हिन्दोस्तां हमारा।।

हक़ीक़त यही हैं, अपनी अपनी राजनीती सेकते हैं लोग, राजनीतिको का काम हैं सेकना,पर हद हैं जहाँ देश की मातृभाषा की बात हैं तो भी अपनी रोटी सेकते हैं लोग

(०२) लोग भी अपने दिमाग का इस्तेमाल नहीं करते हैं। आज दक्षिण हिन्दुस्तान के हर राज्य में समझी जाती हैं, भले ही भाषावाद के कारण ड्रामा करने के लिए भाषाओं के उपर आंदोलन करने के लिए है यह। केरल, कर्नाटक, तमिलनाडु में हिंदी को विरोध सिर्फ नेताओं का है आम जनता का नहीं। .२.

(०१)यह भी कांग्रेस ने किया हुआ एक पाप है। जानबूझकर १९६९ में टीवी चैनल शुरू हुआ तो वहां हिंदी समाचार दिखाना बंद कर दिया। सबसे ज्यादा हिंदी फिल्मों का निर्माण दक्षिणी हिंदूस्थान में होता हैं। इसका मतलब साफ है पेटके लिए हिंदी चाहिए और लोगों को भड़काने के लिए हिंदी के खिलाफ आंदोलन.२

इन अवसर वादी नेताओ को देश परदेश की चिंता नहीं केवल वोट बटोरना चाहते है जनता सब जानती है

नई शिक्षा नीति का विरोध है या फिर हिन्दी का। सरकार तो अपनी क्षेत्रीय भाषा में अध्ययन करने वोल रही है। यही चोर डकैत चापलूस अंग्रेजी पैसा पर पलने वाले नेताओं के कारण जो १९८६ में लागू होना चाहिए था वो आज हो रहा है।ये लोगों को मुर्ख रहकर अपना उल्लू सीधा करना आज भी चाहते हैं

कनिमोझी दिखने में साउथ अफ्रीकन लग रही थी। भारतीयता पूछ लेने पर कौन सा पहाड़ टूट गया।

राजनीति में हार के बाद धर्म भाषा क्षेत्रवाद वर्ग और जाति के नाम पर पैंतरे बाजी ही हथियार है सुर्खियों में बने रहने का।

सभी दगे कारतूस हैं आवाज़ तो कर सकते है मगर उनके सहारे जंग नहीं जीती जा सकती

First he deliberately divided Lingayat Hindus prior to last Election & now dividing Indians on Linguistic line, No credibility left with such totally shameless so called Netas ?! How much low mindset will these types of Pseudo Sickular Netas exihibit to remain in dirty politics?!

ऐसे ही चूतिये थे तभी तो चप्पल चटकाते घूम रहे हो।हिन्दी सीखने में तो अम्मा मरती है लेकिन अंग्रेज़ी के लिये आड़े पड जाते हो?

जब सत्ता का सुख भोगते हो तुम अंगूर खट्टे नहीं दिखाई देते।मीडिया में बने रहने के लिए देशद्रोही नेता लोग क्या-क्या स्टंट करते हैं। इनके स्टंट को देखते हुए रियल स्टंट मैन भी शर्मा जाए।

जब आपकी पार्टी के समर्थक दक्षिण भारत में रेलवे जंक्शन और दूसरी जगहों पर हिंदी में लिखे अक्षर पर कालिख पोतते है तब हिंदी भाषियों की इज़्ज़त प्रतिष्ठा का ख्याल नही आता।जब कोई आप जैसे नेताओं से सिर्फ नागरिकता पूछ लेता है तब आपलोगो की इज़्ज़त पर बन आती है।

South k log kaun sa outsider ka welcome karte h be.. south me jitna jati wad bhed bhaow h wo or kahi nhi h

Keep on saying south Indian language,what's wrong in speaking Hindi.And anyone say, perhaps from south also.

फिर भी देवा गौडा प्रधानमंत्री बन जाते है।

Ulta chor kotwal ko daate, this people loves foreign language english but hates hindi, this people are real traitor

आखिर ये बेरोजगारी का विवाद क्यों नहीं गरमाता,

ये नेता बस अपना उल्लू सीधा करने में लगे रहते हैं, और लोग तो खाली ही है आजकल, मै भी हूं, हा हल्ला बोल

कहते है.......कुएं के मेंढकों को कुएं में ही सुख मिलता है........इन्हे अंग्रेजी से ऐतराज़ नहीं है.....हिंदुस्तान में हिन्दी से गुरेज़ है

तो फिर सिख लो या फिर पूरेदेश को तमिल सिखा दो

हिंदुस्तान मे हिंदी से ही नफरत है क्या इंग्लिश के लिये प्यार और अपनी रास्ट्रभाषा से नफरत? दोगले लोग दोगला कानून है इस देश का जो ऐसे लोग गलत करके बोलके भी आराम से रहते है।

Why can't these politicians keep the country United.

This crybaby is a useless administrator and a failure CM.He is a blot on politics.

But Modi is Gujarati. He speaks Hindi also. And he never mind to speak Kannada, Tamil , Bengali also

कुमार और स्वामी भी वा रे bhsdk

Publicity stunt by this guy. His father was the PM of India still he is saying that to be in limelight. They all lost their jobs (making people fools) because of corona

what do you mean by politics se piche krti h kalam sir, narshima rao, apne vice president, nirmala sitaraman etc etc from where did these came from? u just want to divide country for power...your fake pride is destroying our nation....u like english go to America end of story

Ususal suspects of hatred politics in south india..

Kushi ke hindi ka virodh karne wale chutiya neta hai desh ke nasur hai

When no issue to criticise govt, take up irrelevant subjects to remain in public eye. This man wasted lot of money of Karnataka exchequer by staying in a five star hotel till he was CM. It was not his fathers money.

70 saal se kya kiya

ऑफि‍सर ने नहीं बल्कि कनिमोई ने कहा था आप मुझसे हिन्‍दी में नहीं तमिल या इंग्लिश में पुछिए। तब अफसर ने कहा आर यू फॉरेनर.. बस इतनी सी बात का बतंगड़ बना रहे है लोग। आफ‍िसर ने ये नहीं कहा आर यू नॉट इण्डियन ...

दिक्कत दक्षिणी भाषा से नहीं है दिक्कत यह है कि यह लोग इंग्लिश बोल सकते हैं तो हिंदी क्यो नही?

सब एक ही थाली के चट्टे बट्टे है

FakeStoryTeller

बेटा देश पर राज करना है तो हिंदी सीखना ही पड़ेगा वरना अपना अपना राज्य पकड़ कर बैठे रहो

Please don’t fight for silly reason look after the situation through which we are going there are many opportunities that govt are neglecting to control COvID and ultimately all figure folded towards ppl as like earlier narendramodi INCIndia

Naya drama chaalu... Badi planning se kam krte hai ye.. Pehle kanimojhi...Fir chidambaram..Ab kumar swami... Pinarayi vijayan or wo separatist group ab activate honge... Desh ke khilaf nare lagayenge... Accha drama chalu hoga ab...

Ye sab nautanki hai .. news me rahana chahiye.. corona ji vajah se kahi naam nahi aa raha tha.. abhi ek ne shuruvat ki pure dakshin bharat ke netaoko problem aa gayi..😡

Tere pappa kaise PM bane they Pv Narasimha Rao kya north ke they?

Abolish states One nation one government

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