कई समस्याओं का समाधान है गो पालन, भारतीय परंपरा का अभिन्न अंग रहा है गोवंश

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Opinion - कई समस्याओं का समाधान है गो पालन, भारतीय परंपरा का अभिन्न अंग रहा है गोवंश Cow Enviroment IndianTradition BJP4India INCIndia

छले दिनों इलाहाबाद हाई कोर्ट ने एक मामले में महत्वपूर्ण टिप्पणी करते हुए कहा कि गोमांस खाना किसी का मौलिक अधिकार नहीं है। बूढ़ी बीमार गाय भी कृषि के लिए उपयोगी है। यह कृषि की रीढ़ है। गाय का मल एवं मूत्र असाध्य रोगों में लाभकारी है। इसकी हत्या की इजाजत देना ठीक नहीं। हाई कोर्ट ने वैदिक, पौराणिक, सांस्कृतिक महत्व एवं सामाजिक उपयोगिता को देखते हुए गाय को राष्ट्रीय पशु घोषित करने का सुझाव दिया है। देखा जाए तो कोर्ट ने यह टिप्पणी महज भावनात्मक आधार पर नहीं की है। यह बात वैज्ञानिक और व्यावहारिक तौर...

मानव सभ्यता के आरंभ से ही गोवंश मनुष्य के विकास पथ का सहयात्री रहा है। मोहनजोदड़ो और हड़प्पा से मिले अवशेष साक्षी हैं कि पांच हजार साल पहले भी हमारे यहां गोवंश पूजनीय थे। आज भी ग्रामीण अर्थव्यवस्था का मूल आधार गोवंश है। हालांकि भैंस के बढ़ते प्रचलन तथा कतिपय कारखाना मालिकों एवं पेट्रो-उद्योग के दबाव में गांवों में अब टैक्टर और अन्य मशीनों का प्रयोग बढ़ा है, लेकिन यह बात अब धीरे-धीरे समझ आने लगी है कि छोटे किसानों के लिए बैल न केवल किफायती, बल्कि धरती एवं पर्यावरण के संरक्षक भी हैं। अनुमान है कि...

भारत की गाय का दुग्ध उत्पादन दुनिया में सबसे कम है। हमारे देश में एक गाय सालाना 500 लीटर से भी कम दूध देती है। जबकि डेनमार्क में दूध देने वाली प्रत्येक गाय का सालानाउत्पादन औसत 4,101 लीटर है। यह आंकड़ा स्विट्जरलैंड में 4,156 लीटर, अमेरिका में 5,386 और इंग्लैंड में 4,773 लीटर है। जाहिर है कि भारत में गाय पालना घाटे का सौदा है। यही वजह है कि जब गाय दूध देती है तब तो पालक उसे घर पर रखता है और जब वह सूख जाती है तो सड़क पर छोड़ देता है। हमें गाय की ऐसी नस्लों पर फोकस करना चाहिए जिनसे अधिक से अधिक...

सर्वविदित है कि गाय पालन को बढ़ावा देकर हम दूध एवं उसके उत्पाद को बढ़ा सकते हैं। इससे हमें कम कीमत पर पौष्टिक आहार मिल सकता है। बैल का खेती में इस्तेमाल डीजल पर हमारे खर्च को बचा सकता है। साथ ही यह डीजल से संचालित ट्रैक्टर, पंप और अन्य उपकरणों से होने वाले घातक प्रदूषण से भी निजात दिलवा सकता है। वहीं छोटे रकबे के किसान के लिए बैल का इस्तेमाल ट्रैक्टर के मुकाबले सस्ता और पर्यावरण हितैषी होता है। गोबर और गोमूत्र का खेती-किसानी में इस्तेमाल न केवल लागत कम करता है, बल्कि मिट्टी को उपजाऊ बनाने के...

जाहिर है देश और समाज के विकास में महत्वपूर्ण भूमिका निभाने वाले पशुधन को सहेजने के प्रति दूरदर्शी नीति और कार्ययोजना समय की मांग है। आज भी भारत की राष्ट्रीय आय में पशुपालकों का प्रत्यक्ष योगदान छह फीसद है। गाय पर कोई दया न दिखाए, बस उसकी क्षमता का देश के लिए इस्तेमाल करें। जरूरत है सरकारें इलाहाबाद हाई कोर्ट की बातों का मर्म समङों कि गाय मात्र आस्था का विषय नहीं, अपितु अर्थव्यवस्था और पर्यावरण संरक्षण से भी जुड़ा मसला है। इसलिए गाय पालना जरूरी...

 

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BJP4India INCIndia लेकिन आज करप्शन के राज में गाय को गौशालयो में भोजन नही मिल पा रहा कौन है जिम्मेदार rashtrapatibhvn PMOIndia narendramodi myogiadityanath myogioffice yadavakhilesh asadowaisi ind_parliament court_india OCCRP nazaha_en

BJP4India INCIndia लुटियंस ज़ोन के बंगलों में गौ सदन खोल देने चाहिये । सांसदों और अधिकारियों के लिए हाई राईज़ सोसाइटी बना कर उनमें फ़्लैट दे देने चाहिए । ये लोग जनता के सेवक हैं , राजा नहीं ।

BJP4India INCIndia सर ये भी दिखाई। बहुत परेशान हैं सभी बच्चे। UP Police Sub Inspector-2016 की 1 साल की ट्रेनिंग पूरी करने के बाद भी 14 महिने से नियुक्ति के लिए दर-दर भटक रहे हैं

BJP4India INCIndia ग्रामीण विकास व ग्रामीणअर्थव्यवस्था का मुख्य आधार पशुपालन व कृषि हित हैं ।

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