एन. रघुरामन का कॉलम: गुणवत्ता वे अदृश्य बारीकियां हैं, जिनकी मौजूदगी से बड़ा अंतर आता है

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एन. रघुरामन का कॉलम: गुणवत्ता वे अदृश्य बारीकियां हैं, जिनकी मौजूदगी से बड़ा अंतर आता है nraghuraman columnist

गुणवत्ता वे अदृश्य बारीकियां हैं, जिनकी मौजूदगी से बड़ा अंतर आता हैपिछले हफ्ते बॉलीवुड एक्टर अक्षय कुमार ने घोषणा की कि वे ‘गोरखा’ फिल्म कर रहे हैं, जो भारतीय सेना की गोरखा रेजिमेंट के महान अफसर, मेजर जनरल इयान कारदोज़ो की जिंदगी पर आधारित है। अक्षय ने पिछले शुक्रवार इसका पोस्टर जारी किया, जिसमें वे खुकरी लिए दिख रहे हैं।

याद कीजिए 2016 की रुस्तम फिल्म में उनकी नेवी की यूनिफॉर्म की आलोचना हुई थी। हालांकि फिल्म में 1950 के दशक की कहानी थी, लेकिन अक्षय के किरदार, नेवी अधिकारी कैडर केएम नानावटी ने कारगिल स्टार और हाल के दशकों के अन्य मेडल पहने थे। अधिकारी के सीने पर दायीं ओर नाम का टैग लगाना भी 1970 के दशक में शुरू हुआ था।

मैं सिर्फ 40 सेकंड फोन पर व्यस्त रहा, उतने में ही उन्होंने वह पढ़ लिया जो पढ़ना चाहते थे। फिर उन्होंने पूछा, ‘‘विचारों का मिलन होना चाहिए’ से आपका क्या मतलब है?’ फिर उन्होंने 30 मिनट बैठकर यह समझा कि क्यों किसी भी आइडिया को गुप्त रखना बेकार है और क्यों गुणवत्ता सुनिश्चित करने के लिए एक विचार को अन्य विचारों से मिलना चाहिए। मैंने उन्हें मैट रिडली के बारे में बाताया जिन्होंने यह सिद्धांत विकसित किया कि ‘विचारों का संसर्ग होना...

 

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nraghuraman सही बात है। गुणवत्ता एक ऐसी संपत्ति है जिसको हम जितना भी कमाए धारण करें वह किसी को दिखाई नहीं देता।

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