नई दिल्ली. हाल ही में कोलकाता हाईकोर्ट ने अन्य पिछड़ा वर्ग श्रेणी के तहत राज्य में 2010 के बाद जितने भी लोगों को प्रमाण पत्र जारी किए हैं, उन्हें रद्द कर दिया गया. लोकसभा चुनाव के बीच आए इस जजमेंट ने राज्य ही नहीं बल्कि देश की राजनीति में भी उबाल ला दिया. ऐसा इसलिए क्योंकि ओबीसी के तहत ममता बनर्जी सहित कांग्रेस व विपक्ष के कई दलों ने मुसलमानों को इस श्रेणी में आरक्षण दिया था. भारतीय जनता पार्टी और अन्य विपक्षी दल अपने अपने तरीके से इसे चुनवी मुद्दा बनाने में जुटे हैं.
उत्तर प्रदेश की बात की जाए यहां 28 मुस्लिम जातियों को OBC आरक्षण मिल रहा है. इसके अलावा बिहार, राजस्थान समेत कई राज्यों में जाति के आधार पर मुस्लिमों को OBC आरक्षण में शामिल किया गया है. यह भी पढ़ें:- बकिंघम पैलेस में क्यों मिली रिक्शा चलाने वाली आरती को एंट्री? UP की बेटी को प्रिंस चार्ल्स ने दिया सम्मान पहली बार कब आया धर्म-आधारित आरक्षण? धर्म-आधारित आरक्षण पहली बार साल 1936 में केरल में लागू किया गया था, जो उस समय त्रावणकोर-कोच्चि राज्य था.
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