उपराष्ट्रपति वेंकैया नायडू ने कांग्रेस नेता जयपाल रेड्डी और पूर्व केंद्रीय मंत्री सुषमा स्वराज के निधन पर श्रद्धांजलि अर्पित की है. वेंकैया नायडू ने कहा है कि ये दोनों उनके सगे भाई बहन की तरह थे. उपराष्ट्रपति ने कहा है कि इनके निधन से उन्होंने महज 10 दिनों के भीतर दो बेहतरीन दोस्त खो दिए हैं. एक अखबार में लिखे लेख में दोनों की तुलना करते हुए उपराष्ट्रपति ने कहा है कि दोनों में कई समानताएं थी, समानता इस लिहाज से की दोनों ने अपनी-अपनी अक्षमता से लड़ाइयां लड़ीं.
उपराष्ट्रपति ने लिखा है कि रेड्डी ने जहां शारीरिक अक्षमता को हराया, वहीं सुषमा स्वराज ने सामाजिक अक्षमता को परास्त किया. वेंकैया नायडू लिखते हैं,"लैंगिक भेदभाव आज भी हमारे सामाजिक-राजनीतिक जीवन में एक बड़ा मसला है, जिससे महिलाओं को कई मुश्किलों से जूझना पड़ता है, मगर सुषमा स्वराज ने इसे नकार दिया, जयपाल की तरह उन्होंने भी अपने शब्दों, कर्मों और उपलब्धियों से दुर्जेय सामाजिक बाधाओं को पार किया.
बता दें कि सुषमा स्वराज के अंतिम संस्कार के दौरान जब उपराष्ट्रपति लोधी रोड स्थित शवदाह गृह पहुंचे तो सुषमा के पार्थिव शरीर के सामने वे फफक-फफक कर रो पड़े. राज्यसभा में सुषमा को याद करते हुए उन्होंने कहा था कि वे उन्हें अपना बड़ा भाई मानती थीं और उन्हें अन्ना कहकर बुलाती थीं. वेंकैया ने कहा कि सुषमा हर साल रक्षा बंधन पर उन्हें राखी बांधती थी, लेकिन इस साल उनकी कलाई सूनी रहेगी.
अपने लेख में वेंकैया नायडू ने लिखा है कि जब वो सुषमा को अंतिम सम्मान देने के लिए गए थे तो उनकी बेटी बांसुरी फूट-फूटकर रोने लगी. उपराष्ट्रपति ने इस लेख में बांसुरी के साथ अपने संवाद को याद किया.
वेंकैया कहते हैं कि जयपाल रेड्डी और सुषमा स्वराज की वाकशैली भगवान की दी हुई थी. उन्होंने कहा कि जयपाल रेड्डी की अंग्रेजी भाषा पर असाधारण पकड़ी थी तो सुषमा स्वराज की अभिव्यक्ति की स्पष्टता और उनकी भारतीय संस्कृति की समझ उन्हें शानदार वक्ता बनाती थी.
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