उत्तर प्रदेश पंचायत चुनाव के आरक्षण में CM योगी क्या चाहते थे और जानें क्या हो गया है

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हाईकोर्ट के फैसले से साफ हो गया है कि अखिलेश सरकार के दौर में बने शासनादेश के आधार पर पंचायत चुनाव के सीटों के आरक्षण की रूपरेखा तय की जाएगी. UttarPradesh PanchayatElection

दस साल के बाद ही आरक्षण की रूपरेखा बदलेगीउत्तर प्रदेश के पंचायत चुनाव के लिए आरक्षण प्रक्रिया के लिए योगी सरकार ने बड़ा बदलाव करते हुए अखिलेश सरकार के फैसले को पलटकर 1995 के आधार पर सीटों के आरक्षण के लिए आवंटन करने का नियम तय किया था. सीएम योगी के इस दांव से लंबे समय से पंचायतों पर काबिज सियासी परिवारों के वर्चस्व को तोड़ने की रणनीति मानी जा रही थी, लेकिन अब इलाहाबाद हाईकोर्ट की लखनऊ बेंच ने 2015 के आधार पर आरक्षण प्रणाली को लागू कर पंचायत चुनाव कराने का निर्देश दिया है.

मान लीजिए, किसी ब्लॉक में 100 ग्राम पंचायतें हैं. वहां 2015 के चुनाव में 27 ग्राम प्रधान पद पिछड़ा वर्ग के लिए आरक्षित रही हैं तो 2020 के पंचायत चुनाव में भी ये 27 के आगे वाली ग्राम पंचायतों के प्रधान पद आरक्षित होंगे. इस तरह इन दो चुनावों में कुल 54 ग्राम पंचायतें ही आरक्षित हो पाएंगी. इसके बाद 2021 में नई जनगणना होगी और 2025 के चुनाव के पहले पंचायतों का पुनर्गठन व परिसीमन कराना होगा.

साल 2015 के पंचायत चुनाव में उत्तर प्रदेश के 71 जिलों में ग्राम क्षेत्र और जिला पंचायतों का नए सिरे से पुनर्गठन किया गया था जबकि कानूनी दांवपेच के चलते गोंडा, मुरादाबाद, गौतमबुद्ध नगर और संभल में पंचायतों का पुनर्गठन नहीं हो सका था. पिछली बार इन जिलों में भी जिन ग्राम पंचायतों, क्षेत्र पंचायतों और जिला पंचायतों का आरक्षण था, वह अपने तयशुदा रोटेशन के मुताबिक ही बदलेगा. रोटेशन की प्रक्रिया को बाधित नहीं किया जाएगा.

1995 से लेकर 2015 तक पांच चुनावों में अनुसूचित जनजातियों, अनुसूचित जातियों, पिछड़े वर्ग और महिलाओं के लिए आरक्षित रहीं सीटें इस बार उस कैटेगरी के लिए आरक्षित नहीं की जाएगी. प्रत्येक ब्लॉक में एससी-एसटी पिछड़े और सामान्य वर्ग की आबादी अंकित करते हुए ग्राम पंचायतों की सूची वर्णमाला के क्रम में बनाई जाएगी. फॉर्मूले के अनुसार एससी-एसटी और पिछड़े वर्ग के लिए प्रधानों के आरक्षित पदों की संख्या उस ब्लॉक पर अलग-अलग पंचायतों में उस वर्ग की आबादी के अनुपात में घटते क्रम में होगी.

 

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Duniya ka sabse bada Bhadva hijda ..CM. YOGi he is main koy shaq nahi 😡😡😡😡

क्या बात है गंजे तुझसे कुछ ना हो पाएगा😡😍😷😆😂

योगी के बस का यूपी नहीं इनका कोई काम समय से नहीं जमीन पर बस कागज और पोस्टर में झूठे काम और नौकरी दिखाई जा रही है जो इनके 2022 में हारने के लिए पर्याप्त है। और गोदी मीडिया को भी इतिहास याद रखेगा।

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