यूट्यूब द्वारा इलेक्ट्रॉनिक वोटिंग मशीनों की प्रभावकारिता से संबंधित वीडियो के तहत अतिरिक्त संदर्भ जोड़ना शुरू करने के महीनों बाद ऑनलाइन प्लेटफॉर्म ने ऐसे कुछ वीडियो के मॉनेटाइजेशन पर अंकुश लगाना भी शुरू कर दिया है. इसका सीधा अर्थ यह है कि अब क्रिएटर्स को ऐसे कंटेंट से आने वाले विज्ञापन की राशि का अपना हिस्सा नहीं मिलेगा.
सहित मिश्रा ने अखबार को बताया कि ईवीएम के विषय पर उनके चार वीडियो ‘लिमिटेड मॉनेटाइजेशन’ के तहत रखे गए हैं. मिश्रा के समीक्षा के अनुरोध पर इनमें से केवल एक वीडियो के लिए मॉनेटाइजेशन को बहाल किया गया. हालांकि, यूट्यूब के अनुसार, सहित मिश्रा और मेघनाद के वीडियो के विज्ञापनों को इस आधार पर ब्लॉक कर दिया गया है कि उन्होंने विज्ञापनदाताओं के लिए निर्धारित दिशानिर्देशों का उल्लंघन किया. सूत्रों का कहना है कि इन उल्लंघनों में सार्वजनिक मतदान प्रक्रियाओं, उम्र या जन्मस्थान के आधार पर राजनीतिक उम्मीदवार की पात्रता, चुनाव परिणाम और जनगणना भागीदारी के बारे में ‘स्पष्ट रूप से गलत जानकारी को बढ़ावा देना’ शामिल है जो ‘आधिकारिक सरकारी रिकॉर्ड’ के विपरीत है.
अख़बार ने बताया है कि यह पूछे जाने पर कि क्या निर्वाचन आयोग ने यूट्यूब से भी ऐसे वीडियो को बंद करने के लिए कदम उठाने का अनुरोध किया था, आयोग के एक प्रवक्ता ने कोई टिप्पणी करने से इनकार कर दिया। यूट्यूब के अनुसार, यूट्यूब से विज्ञापन रेवेन्यू पाने का पात्र होने के लिए एक चैनल में पिछले 12 घंटों में 4,000 वैलिड पब्लिक वॉच हॉर्स के साथ कम से कम 1,000 सब्सक्राइबर्स होने चाहिए या पिछले 90 दिनों में 10 लाख वैलिड पब्लिक शॉर्ट्स व्यूज के साथ 1,000 सब्सक्राइबर्स होने चाहिए.
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