इस विधि से घर पर करें मछली पालन, न तालाब की झंझट...न सड़ेगा पानी! होगा 5 लाख का मुनाफा

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मछली पालन समाचार

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झांसी के मछली पालन एक्सपर्ट डॉ. इकबाल ने बताया कि बायो फ्लाक उन जगहों के लिए बेहद खास है जहां पानी बहुत काम होता है. बायो फ्लाक बनाने में एक ही बार इन्वेस्टमेंट करना पड़ता है. एक बार तैयार हो जाने पर किसान आसानी से 10 साल के लिए मछली पालन कर सकते हैं.

शाश्वत सिंह/झांसी. बुंदेलखंड क्षेत्र अपनी पानी की कमी और सूखे के लिए जाना जाता है. यहां खेती करना काफी मुश्किल होता है. ऐसे में मछली पालन करना तो लगभग नामुमकिन माना जाता है. लेकिन, एक तरीका ऐसा है जहां बिना तालाब के भी मछली पालन किया जा सकता है. बायो फ्लाक विधि से मछली पालन करके बुंदेलखंड के लोग कम लागत में अधिक मुनाफा कमा सकते हैं. यह एक ऐसा तरीका है जहां बेहद कम जगह में मछली पालन किया जा सकता है. बायो फ्लॉक बनाने के लिए की लोहे शीट लगती है.

रोहू, कतला जैसी प्रजातियां इस तरीके से नहीं पाली जा सकती हैं. इस तरीके से मीठे पानी में पलने वाली मछलियों को आसानी से पाला जा सकता है. तिलापिया, कार्प, मगूर, अनाबास और पंगेशियस जैसी विभिन्न मीठे पानी की मछली प्रजातियों को बायो फ्लाक प्रणाली से पाला जा सकता है. हर साल 4 लाख रुपए तक होगा मुनाफा डॉ. इकबाल ने बताया कि बायो फ्लाक प्रणाली से आम तौर पर एक साल में दो बार मछली उत्पादन किया जा सकता है. लेकिन, बुंदेलखंड में साल में एक ही बार उत्पादन किया जा सकता है.

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