इच्छा मृत्यु के समर्थक थे सावरकर, आखिरी वक्त में खाना-पीना छोड़ दिया था

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इच्छा मृत्यु के समर्थक थे सावरकर, आखिरी वक्त में खाना-पीना छोड़ दिया था VeerSavarkar

न सिर्फ एक क्रांतिकारी थे बल्कि इसके साथ ही उन्हें एक अच्छे वक्ता, विद्वान, लेखक, कवि, दर्शनशास्त्री और सामाजिक कार्यकर्ता के तौर पर भी जाना जाता है. सावरकर 28 मई, 1883 को महाराष्ट्र के नासिक में जन्मे थे. अभी वे छोटे ही थे तभी उनके पिता दामोदरपंत सावरकर और माता राधाबाई का निधन हो गया था. उन्होंने छोटी उम्र में ही 'मित्र मेला' नाम का एक संगठन बनाया था, जिसका नाम आगे चलकर 'अभिनव भारत' कर दिया गया. यह संस्था भारत की स्वतंत्रता के लिए काम करती थी.

वे उस दौर में हथियारों के दम पर भारत को स्वतंत्रता दिलाने के समर्थक थे. उन्होंने लंदन जाकर 'द ऑनरेबल सोसाइटी ऑफ ग्रे इन' से बैरिस्टर की पढ़ाई की थी. लेकिन प्रैक्टिस के दौरान वीर सावरकर ने इंग्लैण्ड में राजा के प्रति वफादारी की शपथ लेने से मना कर दिया था. ऐसे में उन्हें वहां वकालत करने से रोक दिया गया था.13 मार्च, 1910 को उन्हें ब्रिटिश सरकार विरोधी गतिविधियों में गिरफ्तार कर भारत भेजा गया लेकिन वे रास्ते में ही कंटेनर से भाग निकले.

सावरकर ने तर्क दिया था कि एक निराश इंसान आत्महत्या से अपना जीवन समाप्त करता है लेकिन जब किसी के जीवन का मिशन पूरा हो चुका हो और शरीर इतना कमजोर हो चुका हो कि जीना असंभव हो तो जीवन का अंत करने को स्व बलिदान कहा जाना चाहिए.

 

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भारत माता के महान सपूत को कोटिशः नमन

Are Dalal media sabko PTA h savarkar ek number ka angrezo ka chamcha tha

He was great man cum great fighter who was not greedy of high position but devoted his life for nation and for motherland

संसार में कोई भी जीव अपनी इच्छा से नहीं मरता है । प्रारब्ध में लिखे निर्देशों के अनुसार ही अपनी धारणा उसी प्रकार बना लेता है। यह सब ईश्वर का खेल है जिसे आम आदमी या सामान्य जन के लिए समझना बहुत कठिन है।

अरे ये तो वही है ना जो अंग्रेज़ो की मुखबरी करता था🤔 माफी वीर नाम है ना इसका,।

Election के लिए सावरकर मुद्दा है, बाकी कुछ नही। जनता समझे इस चिज को।

Jain dharm ki to ye parta h

सच्चे वीर थे सावरकर जी। कृपया सही जानकारी लाओ। उन पर आरोप लगाने से पहले । इनका स्थान गांधीजी से बढ़कर है।

क्योंकि उन्हें अंतिम छड़ो में एहसास हुआ की अंग्रज़ो का साथ देके कितनी बड़ी गलती की

Savarkar ke paad 4G network tha Kab yese bologe

श्री वीर सावरकर पर बनी हिंदी फिल्म Youtube पर है , आप सब देखिए बहुत अच्छी और राष्ट्रभक्ति फ़िल्म है ,

PMOIndia punjabkesari BJP4India ANI वीर –वीर ही नहीं.., परमवीर सावकर, दुनिया के एक मात्र क्रांतीकारी थे, जिन्होनें समयानुसार, कलम व तलवार..., कलम व पिस्तौल को अपने जीवन में श्रेष्ठ बनाया. इसकी ही छाप से, शत्रु की राजधानी इंग्लैंड में अपना कौशल दिखाया..

अबे चूतिये माफी वीर अगर देश के लिए मरता या शहीद होता तो हम वीर कहते मगर ये तो खुद खाना पीना हगना बन्द कर दिया

70 बार माफी नामा भेजा था आप कहते हैं खाना पीना छोड़ दिया था

लग गए ज्यादा कमिशन के जुगाड़ में..

बहोत गलत है । जन्म , मरण और परण अर्थात जन्म , मिर्तुयु और विवाह सिर्फ विधाता के हाथ में होता है ।मनुष्य अपने आप को भगवान न समजे हम तों सिर्फ निमित है ।सिर्फ नाम मात्र । इच्छा नही अच्छी मैत होनी चाहिये ।

हिन्दू धर्म के महापुरुसो मे एक थे सवरकर जी।सत सत नमन

भगत सिंह के पास माफी मांगने का मौका था पर उन्होंने फांसी को गले लगाया अंग्रेजों से माफी नहीं मांगी। इस कुत्ते डरपोक सावरकर ने अंग्रेजों से माफी मांगी और उनका वफादार रहने का लिखित आश्वासन दिया। जेल में रहने के दौरान इसका वजन भी बढ़ा। इस कुत्ते को भारत रत्न बेहद शर्मनाक

गांधी जी के भूत्वा सवार हो गया होगा ।

समाधी लेलीथी महान आत्मा ने। नमन। 🙏🏽

देश से गद्दारी कर-करके अंतिम समय शायद आत्मग्लानी से भर गए होंगे।

अच्छा तो अब तुमको सावरकर के महिमामंडन का काम दिया गया है।

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