पोलर वोर्टेक्स के दौरान सुदूर उत्तर से आने वाली ठंडी हवाएं अमेरिका के केंद्रीय और पूर्वी इलाकों में बेहद ठंड पैदा कर देती हैं. इस नए अध्ययन में दावा किया गया है कि जलवायु परिवर्तन की वजह से आर्कटिक प्रांत में जो गर्मी बढ़ रही है, उसकी वजह से इस तरह की घटनाएं बढ़ रही हैं.
"साइंस" पत्रिका में छपे इस अध्ययन में पहली बार इसी साल फरवरी में अमेरिका के कई इलाकों में पड़ी भीषण ठंड को ध्रुवीय क्षेत्रों में हो रहे बदलावों से जोड़ा गया है. उस शीत लहर के दौरान टेक्सस में बड़े पैमाने पर बिजली भी चली गई थी, 170 से ज्यादा लोग मारे गए थे और कम से कम 20 अरब डॉलर की संपत्ति का नुकसान हुआ था.
जलवायु वैज्ञानिकों के बीच अभी भी इस बात पर बहस चल रही है कि क्या सही में ग्लोबल वॉर्मिंग इस तरह की घटनाओं पर असर डाल रही है. उन्हें यह तो मालूम है कि ग्लोबल वार्मिंग से ठंडे दिनों की कुल संख्या तो कम हो रही है, लेकिन वो यह अभी भी समझने की कोशिश कर रहे हैं कि इससे और भीषण ठंड की घटनाएं हो रही हैं या नहीं.कोहेन का अध्ययन पहला ऐसा अध्ययन है जिसमें वातावरण में हो रहे बदलाव का इस्तेमाल एक ऐसी घटना की वजह पता लगाने के लिए किया गया हो जिसे अभी तक समझा नहीं जा सका था.
इसके साथ ही ठंडी हवा साइबेरिया के उत्तर से चल कर ध्रुवीय इलाके के ऊपर से होते हुए अमेरिका के केंद्रीय और पूर्वी हिस्सों में पहुंच जाती है. केप कॉड स्थित वुडवेल क्लाइमेट रिसर्च सेंटर में जलवायु वैज्ञानिक जेनिफर फ्रांसिस का कहना है,"फरवरी 2021 का टेक्सस कोल्ड ब्लास्ट" बदलते हुए आर्कटिक और कम ऊंचाई वाले स्थानों में आ रहे"कोल्ड ब्लास्ट" के बीच के संबंध का"एक पोस्टर चाइल्ड" है.
फ्रांसिस ने आर्कटिक से संबंध वाले सिद्धांत को सामने लाने में मदद की थी, लेकिन वो भी कोहेन के अध्ययन का हिस्सा नहीं थीं. उन्होंने कहा,"इस अध्ययन ने इस संबंध को विवादास्पद अवधारणा से अविवादित विज्ञान की तरफ मजबूती से ले जाने का काम किया है."सर्दियों में पेड़ अपना विकास बिल्कुल बंद कर देते हैं. वे एनर्जी सेविंग मोड में चले जाते हैं. तापमान माइनस में जाने के कारण पानी जम जाता है. ऐसे में नुकीली पत्तियों वाले पेड़ एक खास मोम जैसे आवरण से खुद को ढक लेते हैं.
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