आपदा में राहत

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आखिरकार केंद्र सरकार ने सर्वोच्च न्यायालय में हलफनामा दायर कर कहा है कि कोविड से हुई मौतों के मामले में आश्रितों को पचास हजार रुपए का मुआवजा दिया जाएगा।

यह व्यवस्था केवल अब तक हुई मौतों पर नहीं, बल्कि भविष्य में होने वाली मौतों पर भी लागू होगी। राहत कार्य में लगे लोगों के लिए भी मुआवजा दिया जाएगा। कोरोना की दूसरी लहर के वक्त जब संक्रमितों की मौत का आंकड़ा लगातार बढ़ रहा था और विभिन्न अध्ययनों से पता चला कि बहुत सारे परिवारों के कमाने वाले सदस्य अपनी जान गंवा चुके हैं, अनेक बच्चे अनाथ हो गए हैं, उनका भरण-पोषण मुश्किल हो गया है, तब सर्वोच्च न्यायालय में गुहार लगाई गई थी कि कोविड से मरने वालों के आश्रितों को चार लाख रुपए का मुआवजा दिया...

किसी आपदा की वजह से लोगों का जीवन संकट में पड़ जाए या बड़े पैमाने पर लोगों के सामने गुजर-बसर की समस्या उत्पन्न हो जाए, तो कल्याणकारी राज्य का कर्तव्य बनता है कि वह अपने नागरिकों को ऐसी मुसीबतों से पार पाने में मदद करे। इसी मकसद से राष्ट्रीय आपदा प्रबंधन प्राधिकरण का गठन किया गया था। उसमें प्राकृतिक आपदाओं की एक सूची तैयार की गई थी।

 

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