आजादी का अमृत महोत्सव : अंग्रेजों को नहीं मिला सावरकर के घर का कोई खरीदार

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आजादी का अमृत महोत्सव : अंग्रेजों को नहीं मिला सावरकर के घर का कोई खरीदार VinayakDamodarSavarkar VeerSavarkar AzadiKaAmritMahotsav Maharashtra Bhagur

ने नीलामी में भाग नहीं लिया। इसके बाद गांव का ही एक व्यक्ति इस मकान की देखरेख करता रहा और आजादी के बहुत बाद सरकार ने इसे सावरकर स्मारक बना दिया।

स्मारक के लिए लंबे समय तक संघर्ष करने वाले एकनाथरावजी शेटे ने बताया कि तत्कालीन सरकार स्मारक बनाने के लिए राजी नहीं थी। सावरकर के बारे में भ्रम फैलाए गए। स्वतंत्रता संग्राम से जुड़ी वीर गाथा को भी धूमिल करने के प्रयास हुए, पर गांव वालों ने हार नहीं मानी। आंदोलन किए। मुंबई कूच हुए। बालासाहेब ठाकरे से मिले। 1993 में महाराष्ट्र सरकार ने स्मारक बनाने का आदेश दिया।गांव के लोगों की मेहनत रंग लाई और दिसंबर, 1993 में स्मारक बनाने का काम शुरू हुआ। अब इसे राष्ट्रीय स्मारक का दर्जा देने की मांग चल रही है।...

 

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