उच्चतम न्यायालय के न्यायाधीश न्यायमूर्ति न्यायमूर्ति चंद्रचूड़ ने यहां एक व्याख्यान देते हुए यह भी कहा कि असहमति पर अंकुश लगाने के लिए सरकारी तंत्र का इस्तेमाल डर की भावना पैदा करता है जो कानून का शासन का उल्लंघन करता है। उन्होंने कहा, ‘‘असहमति को एक सिरे से राष्ट्र-विरोधी और लोकतंत्र-विरोधी करार देना संवैधानिक मूल्यों के संरक्षण एवं विचार-विमर्श करने वाले लोकतंत्र को बढ़ावा देने के प्रति देश की प्रतिबद्धता की मूल भावना पर चोट करती है।’’ न्यायमूर्ति चंद्रचूड़ ने कहा कि असहमति का संरक्षण करना यह...
से क्षतिपूर्ति वसूल करने के जिला प्रशासन द्वारा कथित प्रदर्शनकारियों को भेजी गई नोटिसों पर जनवरी में प्रदेश सरकार से जवाब मांगा था। उन्होंने यह विचार प्रकट किया, ‘‘असहमति पर प्रहार संवाद आधारित लोकतांत्रिक समाज के मूल विचार पर चोट करता है और इस तरह किसी सरकार को यह सुनिश्चित करने की जरूरत है कि वह अपनी मशीनरी को कानून के दायरे में वाक एवं अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता के संरक्षण के लिए तैनात करे तथा अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता पर रोक लगाने या डर की भावना पैदा करने की किसी भी कोशिश को नाकाम करे।’’...
असहमति की परिभाषा और सीमा क्या होनी चाहिए ये भी तय होनी चाहिए। जजों को तथ्यात्मक बात करनी चाहिए।
मूल संविधान में सेकुलर शब्द था ही नही 🤨आपातकाल के दरमियान 1976 में 42वे संविधान संशोधन कर संविधान की प्रस्तावना में सेकुलर शब्द जोड़कर कांग्रेस ने बाबा साहेब के संविधान के मूल स्वरूप को ही नष्ट कर दिया । 🤷♂बाबा साहेब आम्बेडकर ने संविधान में सेकुलर शब्द जोड़ा ही नही था ।
)भारत तेरे टुकड़े होंगें )असम को भारत से काटकर अलग करना है )15 मिनट को पुलिस हटा लो )अफजल हम शर्मिंदा हैं तेरे कातिल जिंदा हैं 🖕 ये कौन सी असहमति है?
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