पूर्व वित्त मंत्री और बीजेपी के वरिष्ठ नेता अरुण जेटली का शनिवार को का 66 साल की उम्र में दिल्ली के एम्स में निधन हो गया है. वह लंबे समय से बीमारी से जूझ रहे थे. अरुण जेटली के निधन पर कई दिग्गज नेताओं ने शोक व्यक्त किया. वहीं अरुण जेटली ने जिन गांवों को गोद लिया था, उन गावों के लोग भी गांव भी शोक में डूबे हुए हैं. इन गांवों की दुकानें जेटली के निधन की खबर मिलने के बाद जन्माष्टमी के बावजूद बंद रहीं.
अरुण जेटली केंद्रीय राजनीति से सालों से सक्रिय थे. जेटली, अटल बिहारी बाजपेई और नरेंद्र मोदी की सरकार में मंत्री भी रहे. अरुण जेटली का गुजरात से भी खास नाता था और अरुण जेटली यहां से राज्यसभा में BJP के सांसद थे. अरुण जेटली ने 'सांसद आदर्श ग्राम योजना' के तहत गुजरात के वडोदरा जिले में करनाली समूह पंचायत के चार गांवों को गोद लिया था. अरुण जेटली यहां अक्सर आया करते थे. बताया जाता है कि करनाली में कुबेर भंडारी मंदिर पर अरुण जेटली को काफी आस्था थी.
अरुण जेटली के निधन के समाचार से इन गांवों में शोक का माहौल है. गांव के लोग दुखी हैं. कुबेर मंदिर के पुजारी राजनीभाई पांड्या का कहना है, 'अरुण जेटली जी अक्सर यहां आया करते थे और जब कभी करनाली आते थे तो कुबेर मंदिर के दर्शन करने जरूर आते थे. उन्होंने इस गांव को गोद लिया था और उनके प्रयासों की वजह से ही गांव में पहली नेशनल बैंक की शाखा खुल पाई.'
आगे उनका कहना है, 'गांव में घरों में शौचालय बन गए हैं, गांव की सड़कें अच्छी हो गई हैं. उज्ज्वला योजना के तहत गैस का कनेक्शन लग गए हैं. अरुण जेटली जी मंत्री थे पर जब कभी आते तो आम आदमी जैसे ही लगते थे. वे काफी विनम्र इंसान थे और उनके निधन से आज हम काफी दुखी है.' आज अरूण जेटली के निधन से गांव के लोग इतने दुखी हैं कि जन्माष्टमी होने के बावजूद सभी बाजार बंद रहे. लोगों ने इकट्ठा होकर उनकी आत्मा की शांति के लिए मौन भी रखा और प्रार्थना की.
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