राजनीति से परे पेमा खांडू को अपने सांस्कृतिक योगदान के लिए जाना जाता है. ईटानगर : खेल और संगीत के शौकीन पेमा खांडू पिछले कुछ वर्षों में अरुणाचल प्रदेश में एक बड़े नेता के रूप में उभरे हैं, विशेषकर 2016 में पैदा हुए उस संवैधानिक संकट के बाद जिसके कारण राज्य में राष्ट्रपति शासन लगाना पड़ा था. खांडू कुशल चुनावी रणनीतिकार के रूप में अपनी छवि बनाने में भी सफल रहे हैं. अपनी रणनीति की बदौलत ही उन्होंने इस पूर्वोत्तर राज्य में कमल फिर से खिलाया है.
37 साल की आयु में पेमा खांडू बने सीएम जनवरी 2016 में उस संवैधानिक संकट के बाद उनके नेतृत्व का दायरा तेजी से बढ़ा था, जब राज्य में राष्ट्रपति शासन लगाया गया था. जब केंद्र का शासन हटा तो वह भाजपा समर्थित कलिखो पुल के नेतृत्व वाली सरकार में मंत्री बने. यह सरकार हालांकि कुछ ही समय चली. उनके कार्यकाल के मात्र तीन महीने बाद ही सत्तारूढ़ कांग्रेस के 43 विधायक भाजपा की सहयोगी पीपीए में शामिल हो गए थे.
खेल, खांडू के अन्य जुनूनों में से एक है, जिसमें वे सक्रिय रूप से क्रिकेट टूर्नामेंटों का आयोजन करते हैं और स्थानीय एथलीट का समर्थन करते हैं तथा फुटबॉल, क्रिकेट, बैडमिंटन और वॉलीबॉल सहित विभिन्न खेलों में प्रतिभाओं को बढ़ावा देते हैं.
Pema Khandu&Nbsp Arunachal Pradesh Assembly Elections 2024
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