अयोध्या: फ़ैसले के बाद वीएचपी की भूमिका पर सवाल

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सुप्रीम कोर्ट के फ़ैसले से राम मंदिर का रास्ता साफ़ हो गया है लेकिन क्या अयोध्या के हिंदू पुजारियों का खेमा संतुष्ट है?

विश्व हिन्दू परिषद के नेता और दो बार सांसद रहे रामविलास वेदांती

सुप्रीम कोर्ट के फ़ैसले के बाद अयोध्या में लोगों की उम्मीदें बढ़ गई हैं. पुजारियों से लेकर आम लोगों में भी उम्मीद बढ़ी है. भगवा वस्त्र धारण किए एक राम भक्त ने कहा, ''मैं चाहता हूं कि अयोध्या भारत का सांस्कृतिक केंद्र बने और यहां हिंदुत्व से जुड़ी चीज़ें पढ़ाई जाएं.''वेदांती भी कहते हैं कि अगर आप अयोध्या के खंडहरों को देखें तो यहां के समृद्ध अतीत का अहसास होता है. वेदांती चाहते हैं कि अतीत का 'खोया गौरव' वापस आए.

पिछले 29 सालों से मंदिर की सामग्री तैयार करने का काम चल रहा था. वीएचपी के चंपत राय कहते हैं कि सामग्री तैयार करने काम 60 फ़ीसदी पूरा हो गया है. शरद शर्मा कहते हैं कि केंद्र सरकार उनके काम की उपेक्षा नहीं कर सकती है. वो कहते हैं, ''हम मंदिर आंदोलन के अग्रदूत रहे हैं. हम वर्षों से मंदिर निर्माण में लगे हुए हैं. मैं इस बात को लेकर आश्वस्त हूं कि प्रधानमंत्री मोदी हमसे सलाह लेंगे और सभी संबंधित पार्टियों को तवज्जो देंगे.''

 

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ट्रस्ट में जिसको भी शामिल किया जाय उनको पहले उनकी संपत्ति और आय के साधन दर्शाने चाहिए ताकि पांच साल में वो करोड़ों रुपये वाला न हो जाए।उनके उपर कोई कानूनी कार्रवाई नहीं हुई होनी चाहिए धार्मिक, चरित्रवान और इमानदार, निष्पक्ष, किसी भी राजनीतिक दल के साथ उनका संबंध नहीं होना चाहिए।

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