अयोध्या फैसला: बूटा सिंह के सुझाव पर पक्षकार बनने कोर्ट पहुंचे रामलला

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अयोध्या का फैसला: बूटा सिंह के सुझाव पर पक्षकार बनने कोर्ट पहुंचे रामलला AyodhyaVedict AyodhyaJudgment

सुनाया, उन्हें पक्षकार बनाने का सुझाव किसी भाजपा या विश्व हिंदू परिषद के नेता का नहीं था। यह सुझाव तत्कालीन गृहमंत्री बूटा सिंह ने दिया था।

1988-89 में जब राम जन्मभूमि आंदोलन अपने चरम पर था, उस दौरान तत्कालीन गृहमंत्री बूटा सिंह ने विहिप नेताओं को समझाया कि आंदोलन से मंदिर नहीं बन पाएगा। वह या तो संसद द्वारा कानून बनाने से होगा या फिर अदालत से मुकदमा जीतने से। उनका कहना था चूंकि अदालत में किसी ने भी मंदिर की भूमि के स्वामित्व की मांग नहीं की है, इसलिए अदालत से जब भी फैसला होगा, वह सुन्नी वक्फ बोर्ड के हक में ही होगा।

विहिप के राष्ट्रीय उपाध्यक्ष चंपत राय के मुताबिक बूटा सिंह ने ही पटना में सिविल मामलों के विशेषज्ञ पूर्व वकील जनरल लाल नारायण सिन्हा से मिलने की सलाह दी। सिन्हा ने ही उन्हें रामलला विराजमान की ओर से याचिका दायर करने की सलाह दी। जस्टिस देवकीनंदन अग्रवाल ने इसके बाद 1989 में रामलला विराजमान और जन्म स्थान के बतौर विधिक अभिभावक इलाहाबाद हाईकोर्ट में एक याचिका दायर कर राम जन्म भूमि पर स्वामित्व उन्हें सौंपे जाने की मांग की।बाबरी मस्जिद-ध्वंस को भले ही सुप्रीम कोर्ट ने गैरकानूनी करार दिया हो लेकिन...

 

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बूटा सिंह तो कांग्रेस वाला है न ।

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