नई दिल्ली: भारत का ईरान के साथ चाबहार पोर्ट के संचालन के लिए डील करना अमेरिका को रास नहीं आया. लेकिन भारत ने उसकी तिलमिलाहट को शांत कर दिया. विदेश मंत्री एस जयशंकर ने अमेरिका को आईना दिखा दिया कि जब उसका अपना इंटरेस्ट होता है तो उसको चाबहार पोर्ट डील अच्छी लगती है. लेकिन अपना काम निकल जाता है तो जुबान बदल जाती है. अमेरिका हो या यूरोप , उनके हर उठाए सवाल का जैसा माकूल जवाब भारत देता है उससे यही ध्वनि निकलती है कि भारत अब झुकेगा नहीं.
विदेश मंत्री एस जयशंकर ने कहा कि चाबहार बंदरगाह से पूरे क्षेत्र को लाभ होगा और इसे लेकर संकीर्ण सोच नहीं रखनी चाहिए. इससे पहले अमेरिका ने चेतावनी दी थी कि ईरान के साथ व्यापारिक समझौते करने वाले किसी भी देश पर प्रतिबंधों का खतरा है. जयशंकर ने मंगलवार रात कोलकाता में एक कार्यक्रम में कहा कि अतीत में अमेरिका भी इस बात को मान चुका है कि चाबहार बंदरगाह की व्यापक प्रासंगिकता है.
अंतर्राष्ट्रीय मामलों के जानकार ब्रह्म चेलानी का कहना है कि प्रतिबंध लगाने की धमकी अमेरिका की पुरानी नीति रही है. अमेरिका अभी के हालत में भारत के खिलाफ प्रतिबंध नहीं लगा सकता है. पहले कई बार उसने प्रतिबंध लगाए हैं लेकिन उससे उसे कोई लाभ नहीं हुआ. अमेरिका सिर्फ धमकी ही दे सकता है. जब भारत ने पहला परमाणु परिक्षण किया था तो 20 साल तक उसने प्रतिबंध लगाया था. लेकिन इसका परिणाम यह हुआ कि भारत और मजबूत होकर उभरा. अमेरिका, भारत और ईरान के बीच बढ़ती नजदीकियों से बेहद परेशान है.
विदेश मामलों के जानकार मानते हैं कि पहले भारत को मध्य एशिया के देशों से व्यापार करने के लिए पाकिस्तान के रास्ते का इस्तेमाल करना पड़ता था. यहां तक की अफगानिस्तान तक भी कोई सामान भेजने के लिए भारत पाकिस्तान से होकर जाने वाले रास्ते का ही इस्तेमाल करता था. लेकिन जब से भारत और ईरान के बीच चाबहार को लेकर समझौता हुआ है तो अब अफगानिस्तान और सेंट्रल एशिया से बिजनेस के लिए भारत को नया रूट मिल जाएगा. अब तक इन देशों तक पहुंचने के लिए पाकिस्तान से होकर जाना पड़ता था.
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