इसे अमेरिका की संघीय एजेंसियों पर हुआ सबसे गंभीर साइबर हमला बताया जा रहा है। अमेरिकी अखबार वॉशिंगटन पोस्ट में लिखे एक लेख में मशहूर विश्लेषक फरीद जकरिया ने कहा है- ‘रूस ने न सिर्फ हमारे कंप्यूटर सिस्टम, बल्कि हमारे दिमाग को भी हैक कर लिया है।’ जकरिया ने इस मामले में अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप पर भी निशाना साधा है।
अमेरिकी अधिकारियों के मुताबिक उन्हें हाल में ये आभास हुआ कि सरकारी विभागों और देश की पांच बड़ी कंपनियों के कंप्यूटर सिस्टम्स पर साइबर हमला हुआ है। ये हमला मार्च में शुरू हुआ और उसके बाद महीनों तक चलता रहा। जिन विभागों के सिस्टम्स तक हैकरों की पहुंच बन गई, उनमें ऊर्जा और राष्ट्रीय परमाणु सुरक्षा प्रशासन भी हैं। ये विभाग ही देश के परमाणु हथियारों के भंडारों का प्रबंधन करते हैं।
अमेरिकी मीडिया ने इस पर हैरत जताई है कि इतनी बड़ी घटना होने के बावजूद राष्ट्रपति ट्रंप ने इस पर कोई प्रतिक्रिया नहीं दी है। ट्रंप वैसे भी रूस के राष्ट्रपति व्लादीमीर पुतिन की आलोचना करने से बचते रहे हैं। 2016 में ट्रंप के राष्ट्रपति चुनाव जीतने के बाद आरोप लगे थे कि चुनाव में रूस ने उनकी मदद की। लेकिन रिपब्लिकन पार्टी के सीनेटर मिट रोमनी ने कहा है कि ये घटना कुछ वैसी ही है कि जैसे रूस के बमवर्षक विमान पूरे अमेरिकी क्षेत्र पर बेखौफ उड़ान भरते रहें। उन्होंने कहा कि इस घटना से साबित हो गया है कि...
अमेरिकी अधिकारियों के मुताबिक उन्हें हाल में ये आभास हुआ कि सरकारी विभागों और देश की पांच बड़ी कंपनियों के कंप्यूटर सिस्टम्स पर साइबर हमला हुआ है। ये हमला मार्च में शुरू हुआ और उसके बाद महीनों तक चलता रहा। जिन विभागों के सिस्टम्स तक हैकरों की पहुंच बन गई, उनमें ऊर्जा और राष्ट्रीय परमाणु सुरक्षा प्रशासन भी हैं। ये विभाग ही देश के परमाणु हथियारों के भंडारों का प्रबंधन करते हैं।
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