एक दौर में रईस, मशहूर, शानदार और जानदार हस्तियों की अपने घर में मेजबानी करने के लिए पहचाने जाने वाले अमर सिंह इन दिनों सिंगापुर के एक अस्पताल में जिंदगी की जंग लड़ रहे हैं. कभी भारतीय राजनीति में चाणक्य कहे जाने वाले अमर सिंह की उत्तर प्रदेश की मुलायम सरकार में तूती बोलती थी, बिना उनकी सहमति के एक भी फैसले नहीं हुआ करते थे. इतना ही नहीं केंद्र की यूपीए-1 सरकार को बचाने में भी उन्होंने अहम भूमिका अदा की थी..
' बेशक 1990 और 1991 के बीच कई महीनों में वे प्रधानमंत्री चंद्रशेखर के भी करीब रहे. अमर के एक जानने वाले ने उनसे कहा था कि 'तुम्हारे भीतर सियासत में आने की महत्वाकांक्षा पल रही है तो वापस उत्तर भारत का रुख करो.'चुनाव अभियान चलाने और स्थानीय उम्मीदवारों को टिकट बांटने का पहला मौका उन्हें सिंधिया ने ग्वालियर में दिया. अमर खुद भी यूपी की सरहद से लगे भिंड से टिकट की कतार में थे, जहां उन्हें उम्मीद थी कि मुलायम सिंह से उनकी नजदीकी काम आएगी.
इसे कहते हैं मौत का भय, जब सामने दिखती है तो अपने कर्म याद आने लगते हैं
बहुतो के परिवार मे इन्होने खलनायक की भूमिका निभाई है किस किस से माफी मांगगे। जल्दी से जल्दी इनको स्वस्थ लाभ मिले।
कुछ काम धाम नही इनके पास पापो का पशाचतपा करते हैं जो किया यही भोगना है बाकि सेहत का ध्यान रखना जया जी काहिन
बिपाशा बसु से भी माफी माँग लेते
yah dalla hai awr kuch nahin
सुप्रीम कोर्ट रामरहीम का आश्रम खाली करवाने के लिए 35 लोगों को गोली मार दी गई क्या उनसे वार्ता नहीं हो सकती थी,हिंदू भी निहत्थे थे किसी और की सजा किसी और को क्यों?हिंदुओं से ऐसे बात क्यों नहीं होत?हिंदुओं के लिए इतने दिन कब इंतजार किया गया राम मंदिर आंदोलन में भी गोली मार दी गई थी
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