एक ऐसे दौर में जब दुनिया भर में लोकतांत्रिक स्वरों और अभिव्यक्ति की आजादी के लिए आवाजें उठ रही हैं, केरल में पहले से लागू कानूनों में संशोधन करके बोलने के अधिकार पर अंकुश लगाने की कोशिश हैरान करती है। हालांकि इस कदम के साथ ही देश भर में इसके खिलाफ तीखी आवाजें उठीं, उसके बाद राज्य की वाम लोकतांत्रिक मोर्चा की सरकार ने इस अधिनियम को वापस लेने की घोषणा की। विचित्र यह भी है कि सरकार और मोर्चे में शामिल अन्य दलों तक को इस मसले पर विश्वास में लेने की जरूरत नहीं समझी गई थी। जबकि संशोधित केरल पुलिस...
हैं। लेकिन सत्ता में होने पर उसके पैमाने क्यों बदल जाते हैं? इस बात की सफाई केवल यह नहीं हो सकती कि यह प्रावधान केवल महिलाओं और बच्चों को साइबर अपराधों और धमकियों से बचाने के लिए किया गया था और इस पर अन्य पक्षों की ओर से आपत्ति जताए जाने के बाद सरकार ने अपना फैसला बदल लिया। दरअसल, इस कानून से जुड़े संवेदनशील पहलू पर गौर करना, व्यवहार में उसके असर का ध्यान रखना और अन्य सहयोगियों और विपक्षी पार्टियों से सलाह लेना लोकतांत्रिक प्रक्रिया में पारदर्शिता को सुनिश्चित करता। इसके बजाय सरकार ने मनमर्जी...
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