खबर है कि अब हर ट्रेन को अनाउंसमेंट सिस्टम से लैस किया जाएगा. सिस्टम बहुत-कुछ वैसा ही होगा, जैसा कि अभी मेट्रो ट्रेन ों में देखने को मिलता है. अगला स्टेशन कौन-सा है, अगला प्लेटफॉर्म किस ओर है. और भी बहुत-कुछ. लेकिन असल सवाल ये है कि क्या ट्रेनों में वो सबकुछ बताया जाएगा, जो भोले-भाले यात्रीगण जानना चाहते हैं? उचित तो यही है कि जब तक सिस्टम आए, उससे पहले ही हम अपनी जरूरतें रेलवे को बता दें.
ट्रेन क्यों रुकी है?ट्रेन एक ही जगह बहुत देर से क्यों रुकी है, ये जान लेने से भी उसकी चाल पर कोई असर नहीं होता. रुकी है, तो रुकी है. वजह जान लेने भर से थोड़े ना ट्रेन चलने लगेगी! लेकिन फिर भी जानकारी के अपने फायदे हैं. कारण कई तरह के तर्कों पर कसे जाते हैं. लोग चर्चा करते हैं, आचोलना करते हैं. आलोचना या निंदा करने के सुख के आगे तो सारा रस बेकार! यह एक तरह से जले पर बरनॉल का काम करता है. टाइम काटने में सहूलियत होती है, सो अलग. इसलिए ट्रेन रुकने की वजह पता चलना जरूरी है.
जूते सेफ हैं कि नहीं?ये बताना थोड़ा मुश्किल तो होगा, पर नामुमकिन नहीं. अगर जूते और इससे जुड़ी संदेहास्पद गतिविधियों के बारे में वक्त रहते अनाउंसमेंट हो जाए, तो सफर सुहाना बन जाए. मिडिल क्लास बर्थ के पैसे सोने के लिए देता है, लेकिन जूते चैन से सोने कहां देते हैं! इन जूतों को हल्के में मत लीजिए. अगर आप कभी वॉट्सऐप यूनिवर्सिटी में दाखिल हुए हों, तो जानते ही होंगे कि जब जूते शोरूम में बिकने लगें और किताबें फुटपाथ पर, तो इंसान को किस चीज की ज्यादा जरूरत है. वैसे भी इलेक्शन का टाइम चल रहा है.
Metro Train मेट्रो ट्रेन मेट्रो ट्रेन प्रोजेक्ट
इंडिया ताज़ा खबर, इंडिया मुख्य बातें
Similar News:आप इससे मिलती-जुलती खबरें भी पढ़ सकते हैं जिन्हें हमने अन्य समाचार स्रोतों से एकत्र किया है।
स्रोत: NDTV India - 🏆 6. / 63 और पढो »
स्रोत: News Nation - 🏆 15. / 51 और पढो »
स्रोत: Dainik Jagran - 🏆 10. / 53 और पढो »
स्रोत: NDTV India - 🏆 6. / 63 और पढो »
स्रोत: News Nation - 🏆 15. / 51 और पढो »
स्रोत: NDTV India - 🏆 6. / 63 और पढो »