अफगानिस्तान बना मुसीबतों की खान: काबुल में हमें तालिबान कबूल या नहीं; भारत इस पर अब तक चुप क्यों, जानिए उस मुल्क में ऐसा क्या लगा है दांव पर?

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अफगानिस्तान बना मुसीबतों की खान: काबुल में हमें तालिबान कबूल या नहीं; भारत इस पर अब तक चुप क्यों, जानिए उस मुल्क में ऐसा क्या लगा है दांव पर? Taliban Afghanistan Kabul

Whether We Accept Taliban In Kabul Or Not; Why Is The Government Silent Till Now, Know What Is At Stake?काबुल में हमें तालिबान कबूल या नहीं; भारत इस पर अब तक चुप क्यों, जानिए उस मुल्क में ऐसा क्या लगा है दांव पर?“गुड तालिबान बैड तालिबान, गुड टेररिज्म बैड टेररिज्म, यह अब चलने वाला नहीं है। हर किसी को तय करना पड़ेगा कि फैसला करो कि आप आतंकवाद के साथ हो या मानवता के साथ हो। निर्णय करो।”

ऐसे हालात में भारत ने अब तक तालिबानी निजाम को लेकर कुछ नहीं कहा है। सरकार ने न काबुल में तालिबान के विरोध में कोई बयान दिया और न ही ऐसी कोई बात कही है जिससे जाहिर हो कि भारत भी रूस या चीन की तरह काबुल में तालिबान को कबूल कर लेगा। वहीं विदेश मंत्री एस. जयशंकर तालिबान से बात पर एक सवाल के जवाब में बोले, “अभी हम काबुल में बदल रही परिस्थिति पर नजर रखे हुए हैं। तालिबान और उसके नुमाइंदे काबुल पहुंच गए हैं, हमें अब यहां से शुरू करना चाहिए।”1. घरेलू राजनीति में नुकसान का डर, तालिबान विरोधी रही है भाजपा

सोशल मीडिया पर आम लोग तालिबान और उसके समर्थकों के खिलाफ पोस्ट, मीम और वीडियो शेयर कर रहे हैं। साफ है कि आम लोगों का मानस तालिबान विरोधी है। ऐसे में मोदी सरकार जन विरोधी नहीं दिखना चाहती है। इन सभी बातों से साफ है कि भारत सरकार घरेलू मोर्चे पर तालिबान को लेकर नरम होती नजर नहीं आना चाहेगी। उधर, जमीनी हालात काफी अलग हैं। यही वजह है कि सरकार फिलहाल किसी तरह का स्टैंड लेती नहीं दिख रही है।पाकिस्तान में अमेरिका के दूतावास की ओर से वॉशिंगटन भेजा गया गोपनीय केबल।

इस्लामाबाद में अमेरिकी दूतावास के एक खुफिया केबल के मुताबिक कश्मीरी आतंकी संगठन हरकत उल अंसार के आतंकी तालिबान के नियंत्रण वाले दो कैंप में ट्रेनिंग ले रहे थे। इन कैंपों में उनसे पहले अफगानी अरब आतंकी ट्रेनिंग ले रहे थे।दिसंबर 1999 में कंधार हवाई अड्डे पर हाईजैक किए गए विमान को उड़ने से रोकने के लिए स्ट्रिंगर मिसाइल के साथ तैनात तालिबान के लड़ाके। कंधे पर रखकर लॉन्च की जाने वाली इस मिसाइल के जरिए काफी ऊंचाई तक विमान को निशाना बनाया जा सकता...

 

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हम जल्द लौटेंगे फिर अफगानिस्तान आजाद होगा।

IT IS VERY SIMPLE. NOW PM SAHIB WILL USE TALIBAN AD A TOOL TO WIN STATE ELECTIONS. THEN HE WILL HAVE DIPLOMATIC RELATIONS WITH THEM. VISHAV GURU KA TRADEMARK POLITICS.

आखिर क्या है...?

They all are brothers let them solve thier relationships inter se, why we as an outsider interfere and engage ourself. Our interfere will result in our loss only.

Dear respected rrb, kolkata My registration no is 1141081656 in category PH rejected due to photograph issue. So what the next solution for corection in my application Regards DEVENDRA SINGH MAHERIYA Plz modification link provide kar dijiye

good analysis

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