पर आधारहीन समाचारों और अफवाहों को प्रकाशित करने से बचें। इस बैठक में जमीयत उलेमा-ए-हिंद के महासचिव मौलाना महमूद मदनी, जमात-ए-इस्लामी के प्रमुख साआदतुल्लाह हुसैनी, जमीयत अहले हदीस हिंद के प्रमुख मौलाना असगर अली इमाम महदी सल्फी और ऑल इंडिया मुस्लिम पर्सनल लॉ बॉर्ड के सदस्य कमाल फारूकी समेत अन्य ने हिस्सा लिया।
बैठक के बाद, संयुक्त बयान जारी करते हुए मुस्लिम संगठनों ने कहा कि हमें कश्मीरी जनता के मूलभूत अधिकारों का समर्थन करना चाहिए और वहां शांति व्यवस्था की स्थापना और सामान्य जनजीवन की बहाली पर सरकार का ध्यान आकर्षित करना चाहिए। बयान में केंद्र सरकार से कश्मीर में कर्फ्यू की समाप्ति, संचार व्यवस्था पर प्रतिबंध को हटाने, स्वास्थ्य सेवाओं को बहाल करने और शैक्षिक संस्थानों को तुरंत खुलने की मांग की गई है।
वफादारी तो इनके खून में ही नही है । आप क्या मानते हो जिनको 2 रु किलो का रासन मिलता हो और वो रासन छूट जाए तो इनके पेट मे बल पड़ना तो लाजमी है । उत्तर भारत मे किसान मेहनत करके फसल उगते थे । और इनकी रहनुमा कांग्रेस सरकार किसानों से छीन कर 2 रु किलो बाटती थी जब भी वफादारी नही थी
Pahle se hi konsa tum log wafadar ho. Darr se hi log anushasan sikhte h.
तो फिर कैसे खरीदी जा सकती है? कृपया बताया जाय।
इक सीधी और सच्ची बात, ये कौम वफ़ादार थी कब? दुसरी हमें काश्मीर सुरक्षा के लिहाज से चाहिए । इन गद्दारों कि वफ़ादारीयों के लिये नहीं। वफ़ादारीयों के लिये हम कुत्ते पाल लेंगें.... 😂😇 Article370
तेरी ब्फादरी तेरी गांड मे रख।तुझसे कौन मुहब्बत करता है बे सुवर मुस्लिम मुगलो की पिल्लो।हमे कश्मीर हिन्दू पण्डित के लिये चाहिये।बदला बांकी है तुझे भी रिफुजी की तरह दर दर भटक ने को मजबुर करेँगे।
मतलब वफादारी है ही नही ।
Umid bhi nahi
मुश्लिम संगठन की वफादारी फिर किसके साथ है ?
कोई जरूरत भी नहीं है। नस नस में गद्दारी भरी है.... वफादारी कहां से लाओगे?
धारा 370 के बहाने ही देश सबकी वफादारी देख लेगा कौन देश के साथ है और कौन देश के खिलाफ आज जो देश के प्रति वफादारी दिखायेगा वह राष्ट्रभक्त और जो विरोध करेगा वह गद्दार । क्योकि यह देश असफाकउल्ला,और कलाम को पुजता है न की मीरजाफर को। अब फैसला कर लो कलाम बनना है की मीरजाफर।
इनको भी निकालो भारत से सब के सब गद्दार हैं साले मुल्ले ये
Kashmir hmara h
पाकिस्तान का दरवाजा खुला है।
आखिर कहना क्या चाहते हैं ये लोग? वफादार तो कभी रहे ही नंही ये।
तुम लोगों की बोलती बंद हो जाती है जब इमरान खान कहता है जेहाद के नाम पर भारत से लड़ाई कर तुम लोग एक भी बार न तो पाकिस्तान की बुराई करते हो न इमरान खान की बुराई करते हैं और देश हित में अगर 370 को हटाया गया है तो तुम्हारे जैसे कई लल्लू पंजू आ जाएंगे कुछ भी नहीं होने वाला
वफादारी दिखाई ही कब है।
जिन्होंने तलवार के डर से सलवार पहन ली हो, उनसे वफादारी की उम्मीद करना बेमानी है
वफ़ादारी कोई ख़रीदने की चीज़ भी नही है और ना ही कोई ख़रीदने की कौशिस कर रहा है - हाँ सब उमीद कर रहे है कि आप वफ़ादार है-अगर वफ़ादार नही हो तो आप मीडिया के माध्यम से बता सकते है
वफादार अपनी वफा को बेचते भी नहीं है वफादारी है ही नहीं तो फिर खरीदेगा कौन❓
Pakistan ke supporter..To Kashmiri se kyu nhi kahta ki Aap log India ke log h shanti banaye rakhe 370 hatne se koi nuskshan nhi hoga.
हम लोगों के टैक्स के पैसों से कश्मीर चल रहा है , और हम वफ़ादारी की भी उम्मीद न करें ।
मतलब मानते हैं कि वो वफादार नहीं हैं ।
Yes.... who can tell better than few anti Nationalist Muslims.....
Aa gye okat pe
यही वजह है कि भारतीय जनता आपलोगों को शक की नजर से देखते हैं।
बफादारी आलू प्याज की तरह सब्जी की ठेली पर फेरीवाले से नहीं खरीदी जा सकती।परिवार, राष्ट्र, और देशवासियों के प्रति बफादारी पीढ़ी दर पीढ़ी संस्कारों और अपने पन की भावना से आती है। किन्तु जो संगठन और विरादरी बफादारी को स्वार्थ के तराजू में तोलने लगे।उसकी वफादारी कालाबाजारी है।
Jo wafadar nahi unhe bahar fekenge ,Bas !
मानते हैं कि मुसलमान वफादार नहीं होते। बस साफ हो गया कि ये न तो इस देश से वफादार है और न यहां के लोगो से। इनको इनके हिस्से के तुकडे पहले ही पाकिस्तान के रुप में फैक चुके है।
वफादारी बेची तो जा सकती है।
सही बात है सत्तर साल से जिन्हें खिला रहे हैं आरक्षण सुरक्षा नौकरी सुविधाएँ दे रहे हैं वे अभी तक वफादार नहीं हुए तो बाकी से क्या उम्मीद करें? धर्म के परे कुछ लोगों की डिक्शनरी में वफादारी शब्द होता ही नहीं है।
भारतकोभी चीनका रास्ता अपनानेकी सक्त जरूरत है,जिस मुल्क खाते हो उससे वफादारी नही करनेका मतलब गद्दारी करना ही होता है।
RATHER THEY SHOULD BE DEPORTED TO PAKISTAN !
वफादारी निभाए या ना निभाए, गद्दारी तो एकदम भूलना ही होगा। नावफा पर गिले और बहुत शिकवे होंगे, गद्दारी पर तो गोली खानी ही होगी।
देश का हर आदमी देश से प्रेम करता है आयातित विचारों की बात और है।
तुमसे आस किसको है?
गद्दारी खून में ही जो है
जब कश्मीर में पाकिस्तान द्वारा इस्लामी आतंकवाद फैलाया जा रहा था, जब वहां की मस्जिदों से जेहाद का नारा लगाया जा रहा था तो ये उलेमा कौन से बिल में छुप गए थे। क्या तब इनकी जिम्मेदारी नहीं बनती थी कि कश्मीर में पाक एजेंडे को खत्म करने में मदद करते। अब अचानक से मुह में ज़बान आ गई है।
बात तो बिल्कुल सही बोले इनकी खून में गद्दारी है
Tum to kabhi wafadar na thee
तुम ग़द्दारों से यही उम्मीद थी
Sardar ji k o statement aaj bhi itna hi sahi h .e mulle Desh k batware k time Jonna k sath diya or aaj Bharat m hi rah Gaya Kau...? .. taki ek or Pakistan banaya ja sake... Bafadari Desh se karo nahi to. .Bharat k Loha andar ghusega.
जहां तुम होते हो वहां कभी शांति नही आ सकती क्योंकि पैदा होते ही कटारी हाथ आ जाती है जाहिलो।
वाह ! बहुत ख़ूब ! जो वफ़ा बिन मोल होनी चाहिए उसके लिए भी मोल भाव
खैरात और जकात पर पलने वालों से वफादारी की उम्मीद भी नहीं की जा सकती , जो मजहबी कट्टरपंथी अपने मज़हब को वतन से ऊपर रखते हैं उनसे ये उम्मीद बेमानी है
चीन वालो ने हाथ पैर जोड़कर इनको वफादार बनाया है 😀😁😁😄
इन लोगों को 70 साल मिले, इन्होंने पंडितो को भगा दिया, आये दिन जगह जगह इनका ड्रामा चालू है, इनके दिल में आज भी पाकिस्तान और इस्लाम बसता है ना कि राष्ट्रवाद। अब इतना कुछ होने के बाद इन्हें जबरदस्ती और जूते मार के ही राष्ट्रवाद सिखाया जा सकता है । MuslimHypocrisy
जबरदस्ती वफादारी नहीं खरीदी जा सकती तो अपने पिछड़ेपन के लिए सरकार को क्यों दोष देते हो?
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