अध्ययन में सुझाव: विलो की जगह बांस से बनने चाहिए क्रिकेट के बैट, जानिए फायदे

  • 📰 Amar Ujala
  • ⏱ Reading Time:
  • 45 sec. here
  • 2 min. at publisher
  • 📊 Quality Score:
  • News: 21%
  • Publisher: 51%

इंडिया मुख्य बातें समाचार

इंडिया ताज़ा खबर,इंडिया मुख्य बातें

अध्ययन में सुझाव: विलो की जगह बांस से बनने चाहिए क्रिकेट के बैट, जानिए फायदे Cricket Bat Bamboo Willow BCCI ICC

है। यह अध्ययन 'जर्नल ऑफ स्पोर्ट्स इंजीनियरिंग एंड टेक्नोलॉजी' में प्रकाशित हुआ है। विश्वविद्यालय के सेंटर फॉर नेचुरल मैटेरियल इनोवेशन के शोधार्थियों ने कहा कि विलो पर लेदर की आवाज ने भले ही क्रिकेट प्रेमियों का दशकों से मनोरंजन किया हो, लेकिन अब इस लोकप्रिय खेल में बैट के ब्लेड्स को अब बांस से बनाने पर विचार किया जाना चाहिए।

अध्ययन में सामने आया कि बांस विलो के मुकाबले काफी मजबूत होता है। बांस से बने बैट विलो के मुकाबले अधिक पतले और अधिक मजबूत साबित हो सकते हैं। इससे बल्लेबाज को भी मदद मिलेगी क्योंकि हल्के ब्लेड के साथ वह शॉट लगाने के लिए अधिक तेजी से बल्ला घुमा सकेगा और अधिक ताकतवर शॉट लगा सकेगा। अध्ययन में यह भी सामने आया कि विलो के मुकाबले बांस का बैट 22 फीसदी तक कड़ा होता है और यह बल्ले पर गेंद लगने के बाद गेंद की रफ्तार बढ़ा सकता...

क्रिकेट बैट बनाने के लिए सबसे अधिक उपयुक्त बांस की दो प्रजातियां हैं- मोसो और गुआडुआ । ये चीन, दक्षिण एशिया और दक्षिण अमेरिका में बहुतायत से उगते हैं। ये बांस विलो की तुलना में दोगुनी तेजी से तैयार होते हैं और बैट बनाने के दौरान बांस की बर्बादी विलो के मुकाबले काफी कम होती है। उल्लेखनीय है कि विलो से बैट बनाने में करीब 30 फीसदी विलो बर्बाद होती है। शोधार्थियों का मानना है कि ये सभी बातें बांस के बैट को, विलो का बेहतर प्रतिद्वंद्वी बनाती...

डॉ.

 

आपकी टिप्पणी के लिए धन्यवाद। आपकी टिप्पणी समीक्षा के बाद प्रकाशित की जाएगी।
हमने इस समाचार को संक्षेप में प्रस्तुत किया है ताकि आप इसे तुरंत पढ़ सकें। यदि आप समाचार में रुचि रखते हैं, तो आप पूरा पाठ यहां पढ़ सकते हैं। और पढो:

 /  🏆 12. in İN

इंडिया ताज़ा खबर, इंडिया मुख्य बातें

Similar News:आप इससे मिलती-जुलती खबरें भी पढ़ सकते हैं जिन्हें हमने अन्य समाचार स्रोतों से एकत्र किया है।

गुजरात में 'गौशाला' में कोविड केंद्र, दूध, घी-गोमूत्र से बनीं दवा से इलाजगुजरात के बनासकांठा के गौशाला में बनाए गए कोविड केयर को 'वेदालक्षन पंचगव्य आयुर्वेद कोविड आइसोलेशन सेंटर' का नाम दिया गया है। इस सेंटर को बीते 5 मई को शुरू किया गया है।
स्रोत: Jansatta - 🏆 4. / 63 और पढो »

Corona: 24 घंटे में Maharashtra में 53 हजार और Delhi में 17 हजार से ज्यादा मामलेमहाराष्ट्र में कोरोना के 53 हजार 605 नए केस आए हैं, जबकि कोरोना के चलते 864 लोगों की मौत हुई है. उधर, राजधानी मुंबई में कोरोना के मामलों में गिरावट देखी जा रही है. एक दिन में मुंबई में कोरोना के 2678 नए केस आए जबकि 36 सौ से ज्यादा मरीज ठीक हुए. वहीं राजधानी दिल्ली में कोरोना संक्रमण के मामलों में कमी आ रही है. बीते 24 घंटे में दिल्ली में कोरोना के 17 हजार 364 नए केस सामने आ हैं ,जबकि 332 मरीजों की मौत हुई है. देखें वीडियो.
स्रोत: AajTak - 🏆 5. / 63 और पढो »

पंजाब में भाखड़ा में बहते मिले रेमडेसिविर और सैफोप्रोजोन वायल के तार यूपी से जुड़ेपंजाब में भाखड़ा नहर में रेमडेसिविर और सैफोप्रोजोन वायल भाखड़ा में बहते मिले थे। मामले में पुलिस जांच कर रही है। जांच में इसके तार यूपी से जुड़ रहे हैं। हालांकि अभी पुलिस यह नहीं बता रही कि आरोपित यूपी के किस जिले का है।
स्रोत: Dainik Jagran - 🏆 10. / 53 और पढो »

गुजरात: गौशाला में खुला कोविड सेंटर, दूध-घी-गोमूत्र से बनी दवा से इलाज का दावाबनासकांठा ज़िले में एक गौशाला में ‘वेदालक्षणा पंचगव्य आयुर्वेद कोविड आइसोलेशन सेंटर’ शुरू हुआ है, जहां हल्के लक्षण वाले कोरोना मरीज़ों का दूध, घी और गोमूत्र से बनी दवाइयों से इलाज करने का दावा किया गया है. वहीं एक भाजपा विधायक सुरेंद्र सिंह ने दावा किया है कि हर सुबह खाली पेट गोमूत्र पीने से कोरोना वायरस ख़त्म हो जाएगा, हालांकि इस बात का कोई भी वैज्ञानिक प्रमाण नहीं है.
स्रोत: द वायर हिंदी - 🏆 3. / 63 और पढो »

शोध में दावा, आइवरमेक्टिन दवा से Corona की चपेट में आने का खतरा होगा कम...नई दिल्ली। परजीवीरोधी दवा 'आइवरमेक्टिन' के निरंतर उपयोग से कोरोनावायरस (Coronavirus) कोविड-19 की चपेट में आने का खतरा काफी कम हो सकता है। शोधकर्ताओं ने उपलब्ध आंकड़ों की समीक्षा के बाद ये बात कही है। उनका दावा है कि ये दवा महामारी को समाप्त करने में सहायक हो सकती है।
स्रोत: Webdunia Hindi - 🏆 17. / 51 और पढो »